AAP Punjab crisis: दिल्ली में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के भीतर भारी उथल-पुथल मची हुई है। पार्टी की अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आने लगी है। पंजाब में बीते 24 घंटों के भीतर हुए तीन बड़े फैसलों ने यह संकेत दे दिया है कि भगवंत मान सरकार खुद को बचाने की जद्दोजहद में जुटी है। मंत्री कुलदीप धालीवाल से अहम विभाग छीना गया, पुलिस महकमे में बड़े स्तर पर तबादले हुए और एजी ऑफिस में वकीलों से इस्तीफे की मांग की गई। ये सभी घटनाएं ऐसे वक्त पर हुई हैं, जब AAP की दिल्ली में साख गिर चुकी है और पंजाब में भी हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या आम आदमी पार्टी पंजाब में भी फिसल रही है? क्या भगवंत मान के नेतृत्व में AAP की पकड़ ढीली हो रही है?
मंत्री से छीना विभाग, पुलिस में फेरबदल, वकीलों से इस्तीफे – AAP सरकार की घबराहट?
बीते शुक्रवार को पंजाब सरकार ने तीन बड़े प्रशासनिक बदलाव किए, जिससे यह साफ हो गया कि AAP में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
- कुलदीप धालीवाल से अहम विभाग छीना
पंजाब सरकार ने मंत्री कुलदीप धालीवाल से प्रशासनिक सुधार विभाग वापस ले लिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। अब धालीवाल को केवल एनआरआई मामलों तक सीमित कर दिया गया है। चर्चा है कि पार्टी में शक्ति संतुलन बदल रहा है और भगवंत मान अब अपने करीबी मंत्रियों और अफसरों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। - पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल
पुलिस महकमे में 21 आईपीएस अफसरों का तबादला कर दिया गया। इसमें कई जिलों के एसएसपी, पुलिस कमिश्नर और डीआईजी शामिल हैं। सरकार का तर्क है कि यह कदम कानून-व्यवस्था मजबूत करने के लिए उठाया गया, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने की हताशा का संकेत है। - एजी ऑफिस में वकीलों से इस्तीफे की मांग
तीसरा और सबसे चौंकाने वाला फैसला यह रहा कि पंजाब के एडवोकेट जनरल (AG) ऑफिस में काम कर रहे वकीलों से सामूहिक रूप से इस्तीफा मांगा गया। इससे राज्य की कानूनी व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। वकीलों के इस्तीफे की मांग क्यों की गई, इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया गया, लेकिन यह सरकार की अंदरूनी अस्थिरता की ओर इशारा करता है।
AAP के भीतर बगावत? हिंदू मुख्यमंत्री वाले बयान से गरमाई सियासत
AAP के वरिष्ठ नेता और पंजाब सरकार में मंत्री अमन अरोड़ा के ‘हिंदू मुख्यमंत्री’ वाले बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। अरोड़ा ने कहा था कि पंजाब में कभी भी हिंदू मुख्यमंत्री बन सकता है। इस बयान पर जबरदस्त सियासी हंगामा हुआ और खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा, “मैं पद छोड़ने को तैयार हूं, लेकिन नेताओं को गैर-जरूरी बयानबाजी से बचना चाहिए।”
भगवंत मान के इस बयान के बाद अटकलें तेज हो गईं कि क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी का नेतृत्व कमजोर हो रहा है? क्या पार्टी में अंदरूनी कलह इतनी बढ़ गई है कि खुद मुख्यमंत्री को इस्तीफे की बात करनी पड़ी? इन सवालों ने AAP को बैकफुट पर ला दिया है।
दिल्ली की हार के बाद क्या पंजाब में भी खतरा?
दिल्ली चुनाव में AAP को करारा झटका लगा है। अब पंजाब में जो हलचल मची हुई है, उसे इसी पराजय से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों इस मौके को भुनाने में लगे हैं। भाजपा नेता रवनीत बिट्टू ने कहा, “पंजाब के लोग AAP से नाराज हैं। भगवंत मान सुस्त फैसले ले रहे हैं। प्रवासी भारतीयों (डिपोर्टीज़) को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है। 2027 में पंजाब में भाजपा की सरकार बनेगी, यह जनता की मांग है।”
कांग्रेस भी हमलावर हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखपाल खैरा ने कहा, “AAP की पंजाब सरकार अब तक सिर्फ दिखावे की राजनीति कर रही है। प्रशासन ठप पड़ा है, भ्रष्टाचार के आरोप बढ़ रहे हैं, और मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का प्रचार करने में व्यस्त हैं।”
विधानसभा सत्र में हंगामे के आसार, AAP पर चौतरफा दबाव
24-25 फरवरी को पंजाब विधानसभा का सत्र होना है, जहां इन मुद्दों पर हंगामा होना तय है। विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर रहा है। किसान आंदोलन, बेरोजगारी, नशे का बढ़ता प्रभाव, और प्रशासनिक सुस्ती जैसे मुद्दों पर तीखी बहस होने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AAP की पंजाब सरकार फिलहाल ‘डैमेज कंट्रोल’ की स्थिति में है। हाल के बदलाव दिखाते हैं कि पार्टी नेतृत्व पंजाब में अपनी सत्ता बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर एकजुटता बनाए रखने की है।
क्या AAP पंजाब में बिखरने वाली है?
AAP को 2022 में पंजाब में भारी जनसमर्थन मिला था, लेकिन अब स्थितियां बदलती नजर आ रही हैं। पार्टी के भीतर गुटबाजी, प्रशासनिक अस्थिरता और बढ़ते राजनीतिक हमलों ने भगवंत मान सरकार की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या AAP इस संकट से उबर पाएगी, या फिर यह दिल्ली की हार का अगला अध्याय साबित होगा? यह सवाल अब पूरे पंजाब की राजनीति पर हावी हो गया है।