बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी तो वैसे काफी पुरातन है। काशी की चर्चा वेदों और पुराणों में भी है। भगवान महादेव की नगरी होने के चलते काशी को मोछ धाम भी कहा गया है। हाल के दिनों में खासकर 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र होने से भी काशी की पहचान देश और दुनिया में काफी बढ़ गई है।
ऐसे में वही काशी या कहें तो वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है। जिस तरह से वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में सर्व कराया गया। सर्वे में शिवलिंग मिलने की बात कही गई। उसके बाद एक बार फिर अयोध्या रामजन्मभूमि आंदोलन की यादें ताजा हो गई है।
आपको पता ही होगा कि बीजेपी को अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन से काफी बड़े पैमाने पर राजनीतिक लाभ मिला औऱ उसका नीतीजा है कि बीजेपी की केंद्र सहित कई राज्यों में सरकारें हैं।
ऐसे में एक बार फिर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी औऱ ज्ञानवापी का मुद्दा बीजेपी के लिए कहीं 2024 लोकसभा चुनाव का एजेंडा तो नहीं है? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि ज्ञानवापी का मुद्दा जिस तरह से अचानक पूरे देश में छा गया है। चाहे टीवी डीबेट हो या अखबारों की सुर्खियां या संपादकिय सभी जगह ज्ञानवापी के मुद्दे ने जगह बना लिया है।
भले ही बीजेपी अभी तक इसको लेकर अपना कोई स्टैंड क्लियर नहीं किया है लेकिन हैदराबाद के भड़काउ भाईजान असदुद्दीन ओवैसी लगातार मुस्लिमों को भड़काने वाले बयान दे रहे हैं। वैसे में ज्ञानवापी मुद्दे का सांप्रदायिकरण होने से रोका नहीं जा सकता है। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ। वो तो आपको पता ही होगाा।
बात को ज्यादा नहीं खीचते हुए सीधे अगर 2024 के चुनावी मुद्दे पर आए तो यहां ये कहना कहीं से गलत नहीं होगा कि ज्ञानवापी का मुद्दा 2024 के चुनाव में बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। बीजेपी इस मुद्दे के जरिए हिंदुत्व कार्ड को धार दे सकती है। ऐसा करने में बीजेपी काफी माहिर भी है। इसके साथ ही एक बात और यहां ध्यान की है। जब बात मंदिर और मस्जिद की आ जाएगी तो कई मुद्दे गौण पड़ जाएंगे। इसके सामने महंगाई, बेरोजगरी और जातिवादी मुद्दे भी गौण हो जाएंगे। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को पहुंचेगा।
तभी तो बीजेपी के इस इरादे को भांपते हुए विपक्षी दल भले ही खुलकर तो नहीं लेकिन इशारों में इसको लेकर बीजेपी पर जुबानी हमले शुरु कर दिए हैं।
इतना ही नहीं कभी बीजेपी की सहयोगी रही और हिंदुत्व राजनीति की फायर ब्रांड पार्टी मानी जाने वाली शिवसेना भी तो खुलकर बीजेपी पर हमला भी बोला है।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया है कि बीजेपी के ‘विकास मॉडल’ में मंदिरों-मस्जिदों पर बहस जैसे सांप्रदायिक मुद्दों को आगे बढ़ाना शामिल है और बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ज्ञानवापी मस्जिद विवाद जैसे सांप्रदायिक मुद्दों को हवा दे रही है।
बहरहाल जो भी हो ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा बीजेपी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में तुरुप का पता साबित हो सकता है। बीजेपी को पता है कि अगर ये मुद्दा हिट हो गया तो बीजेपी जनता के सामने कई बातों को लेकर जवाब देने से बच जाएगी।
जिसका फायदा बीजेपी को सीधे-सीधे पूरे देश में लोकसभा चुनाव में मिल जाएगी। अब ऐसे में आगे देखना लाजमी होगा कि ज्ञानवापी का मुद्दा आगे चलकर क्या रुख लेती है।
(BY: VANSHIKA SINGH)