China-Taiwan Fight: अब तक जो बातें चीन की ताइवान को लेकर शातिर चालों की कही जा रही थी. चीनी मूल के एक एक्सपर्ट ने इन बातों पर मुहर लगा दी है वो ये कि जिस दिन चीन को लगा कि वो अमेरिका को हरा सकता है.
उसी दिन चीन ताइवान पर हमला कर देगा. तो क्या रूस-यूक्रेन जंग के बीच जिनपिंग को ऐसा आभास होने लगा है? या फिर ताइवान में उकसावे वाली कार्रवाइयां सिर्फ अमेरिकी शक्ति की टोह लेने के लिए हैं?
चीन पिछले करीब 7 दशक से ताइवान पर कब्ज़े के चक्कर में पड़ा है लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है अमेरिका क्योंकि अमेरिका ताइवान पर सैन्य ऑपरेशन के खिलाफ लगातार चेतावनी चीन को देता रहा है. जिनपिंग भी जानते हैं कि अगर उन्होंने यूक्रेन की तर्ज पर ताइवान पर सैन्य कार्रवाई की तो अमेरिका चीन को बख्शेगा नहीं.
पुतिन के यूक्रेन पर ऑपरेशन ज़ेड की तरह ही जिनपिंग का टारगेट-Z ताइवान को लेकर तैयार है बात हिम्मत और शक्ति की जिनपिंग बखूबी जानते हैं कि यूक्रेन और ताइवान को मामला बिल्कुल अलग है…यूक्रेन पर अमेरिका की सीधी निर्भरता नहीं है जबकि ताइवान इसलिए अहम है क्योंकि ताइवान दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाला देश है…और इसके चीन में जाने का मतलब घातक होगा.
चीन ताइवान पर हमले की बड़ी प्लानिंग कर रहा है इसके कई सारे सबूत सामने भी आ चुके हैं. पिछले दिनों चीन का अपने सबसे बड़ा बाहुबली को साउथ चाइना सी में उतारना उसकी रणनीति का हिस्सा है. क्वाड बैठक से पहले ही ताइवान पर हमले को लेकर एक ऑडियो लीक हुआ था. लिहाज़ा ताइवान भी तैयार है, और उसने करारा जवाब देने की प्लानिंग शुरु कर दी है.
स्ट्रेट ऑफ ताइवान में जंग की आहट के बीच अमेरिका भी चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी में जुटा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप की बड़ी ताकतों के साथ अमेरिका चीन के संभावित हमलों और खतरों से निपटने की चर्चा को धार दे रहा है. इसलिए बाइडेन ने अपनी एक कोर टीम भी तैनात कर रखी है.
क्वाड से चीन पहले ही चिढ़ा हुआ है क्योंकि इसनेे जिनपिंग के विस्तारवादी सपने को जबरदस्त चुनौती दी है. चिढ़ और खीझ का ही नतीजा है कि क्वाड शिखर सम्मेलन से ठीक पहले चीन ने विवादास्पद साउथ चाइना सी में अपनी सैन्य शक्ति दिखाने की कोशिश की थी.
(BY: VANSHIKA SINGH)