Congress internal conflict कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर इन दिनों पार्टी नेतृत्व से खासे नाराज चल रहे हैं। उन्होंने हाल ही में दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की, लेकिन इस बातचीत से उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं मिला। पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर थरूर ने राहुल गांधी से सवाल किए, लेकिन जवाब उन्हें संतोषजनक नहीं लगे।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की शीर्ष कमेटी (AICC) अब थरूर को लेकर ज्यादा नरमी बरतने के मूड में नहीं है। उनके बयानों और फैसलों से पार्टी का एक वर्ग पहले से ही नाखुश है, और अब उनके पार्टी के प्रति रुख को लेकर चर्चाएं और तेज हो गई हैं।
थरूर की भूमिका पर उठ रहे सवाल
थरूर लंबे समय से पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर असमंजस में हैं। उन्होंने कई बार यह शिकायत की है कि उन्हें दरकिनार किया जा रहा है और कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी जा रही। हालांकि, जब उन्होंने राहुल गांधी से इस बारे में बात की, तो कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला।
ऐसे में थरूर के भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। क्या वे पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखेंगे, या फिर कोई अलग रास्ता अपनाएंगे
पार्टी को थरूर से दिक्कत
थरूर के कुछ हालिया बयानों ने पार्टी में हलचल मचा दी है। खासतौर पर जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीफ की थी। इसके अलावा, उन्होंने केरल में सत्तारूढ़ वाम सरकार की औद्योगिक नीतियों की सराहना की, जिससे केरल कांग्रेस के नेता नाराज हो गए।
पार्टी को लगता है कि उनके बयानों से कांग्रेस की आधिकारिक लाइन कमजोर पड़ती है। राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं, ऐसे में थरूर का पीएम की तारीफ करना पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है।
संसद में भी हो रही अनदेखी
थरूर को अब पार्टी के मंचों पर भी ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है। संसद में उन्हें बड़ी बहसों में बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा, जिससे उनका असंतोष और बढ़ रहा है।
पहले वे कांग्रेस के बड़े चेहरों में गिने जाते थे, लेकिन अब पार्टी के अंदर उन्हें हाशिए पर डाला जा रहा है। सवाल ये है कि अगर कांग्रेस नेतृत्व उन्हें महत्व नहीं देता, तो क्या वे आगे भी पार्टी के साथ बने रहेंगे?
केरल कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी
केरल में कांग्रेस के अंदर भी थरूर को लेकर दो गुट बन गए हैं। कुछ लोग मानते हैं कि थरूर की लोकप्रियता और स्वतंत्र विचारधारा पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है, जबकि कुछ को लगता है कि इससे गुटबाजी बढ़ेगी।
पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इस बात से परेशान हैं कि थरूर की बढ़ती लोकप्रियता से पार्टी में नया सत्ता संघर्ष खड़ा हो सकता है।
आगे की राह क्या होगी
थरूर के सामने अब दो रास्ते हैं।या तो वे पार्टी के फैसलों को स्वीकार करके कांग्रेस के साथ बने रहें, या फिर कोई अलग कदम उठाएं। फिलहाल, उन्होंने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वे कांग्रेस छोड़ सकते हैं, लेकिन उनकी नाराजगी को देखते हुए कोई भी संभावना खारिज नहीं की जा सकती।
कांग्रेस नेतृत्व को भी अब सोचना होगा कि वे थरूर जैसे कद्दावर नेता को कैसे संभालें। अगर उनके असंतोष को हल्के में लिया गया, तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
कुल मिलाकर, कांग्रेस के अंदर शशि थरूर और पार्टी नेतृत्व के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो पार्टी के लिए यह विवाद बड़ा सिरदर्द बन सकता है।