Delhi assembly elections 2025 को लेकर वोटों की गिनती जारी है। चुनाव आयोग 8 फरवरी को 70 सदस्यीय विधानसभा के नतीजे घोषित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। मतगणना का काम शुरू हो चुका है।
शुरुआती रुझानों में भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है और 37 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की आवश्यकता है। आम आदमी पार्टी फिलहाल 27 सीटों पर आगे चल रही है।
भाजपा की शिखा राय, कांग्रेस की अलका लांबा, आम आदमी पार्टी के मनीष सिसौदिया और सौरभ भारद्वाज समेत कई प्रत्याशियों को मतगणना से पहले विभिन्न मंदिरों में प्रार्थना करते हुए देखा गया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना आठ फरवरी, आज शनिवार की सुबह से चल रही है। मतदान पांच फरवरी को हुआ था और इस बार लोगों में चुनाव को लेकर काफी चर्चा रही। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस बार वोटिंग प्रतिशत पहले से कम रहा।
ज़्यादातर एग्ज़िट पोल बीजेपी को बड़ी जीत का अनुमान दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बताया जा रहा है, जबकि कांग्रेस को कुछ सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, नतीजे क्या होंगे, यह तो आखिरी वोट गिनने के बाद ही साफ होगा।
मतदान प्रतिशत में गिरावट क्यों आई
इस बार सिर्फ 60.4% लोगों ने वोट डाले। 2013 में 66% वोटिंग हुई थी, 2015 में 67% और 2020 में 63%। यानी धीरे-धीरे वोटिंग कम होती जा रही है। यह चिंता की बात है, क्योंकि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों में चुनाव को लेकर जोश थोड़ा कम हुआ है।
दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 12 आरक्षित हैं और बाकी 58 सामान्य सीटें हैं। यहां 1.55 करोड़ वोटर हैं। इनमें 83.49 लाख पुरुष और 71.74 लाख महिलाएं शामिल हैं। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख है।
कांग्रेस और ‘आप’ अब आमने सामने
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी हैं। एग्ज़िट पोल में कहा गया है कि कांग्रेस इस बार कुछ सीटें जीत सकती है, लेकिन बड़ी वापसी के आसार नहीं दिख रहे।
चुनाव से पहले आतिशी को आम आदमी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया। वहीं, अरविंद केजरीवाल जनता के बीच जाकर अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे थे।
2013 से अब तक की कहानी
2013 में आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और 70 में से 28 सीटें जीत लीं। बीजेपी 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन कांग्रेस सिर्फ 8 सीटें ही जीत पाई।
2015 में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की और 67 सीटों पर कब्जा जमाया। बीजेपी केवल 3 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला।
2020 में ‘आप’ ने फिर से दमदार वापसी की और 60 से ज्यादा सीटें जीत लीं। बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं, लेकिन उसका वोट शेयर 30% से ज्यादा बना रहा। कांग्रेस की हालत और खराब हो गई और उसे एक भी सीट नहीं मिली।
लोकसभा में बीजेपी की बादशाहत बरकरार
2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सात सीटें बीजेपी ने जीतीं। 2024 में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन फिर भी बीजेपी ने बाज़ी मार ली।
हालांकि, विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस और ‘आप’ के रास्ते अलग हो गए। केजरीवाल ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी। इसके बाद कांग्रेस और ‘आप’ ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है क्या अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे, या इस बार बीजेपी सरकार बनाएगी?