18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सता पक्ष और विपक्ष के बीच जोर अजमाइश का दौर जारी है। इसको लेकर टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई है।
बैठक इसलिए अहम माना जा रहा है कि अगर इसमें विपक्ष की एकजुटता नजर आई तो राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को अपना पसंदीदा उम्मीदवार को जीताना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा।
ऐसे में अभी तो जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक ममता बनर्जी की बैठक से नवीन पटनायक की बीजेडी, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईआरएस और के.चंद्रशेखरी की पार्टी टीआरएस इसमें शामिल नहीं होगी। हालांकि, इसका आशय ये भी नहीं है कि ये तीनों पार्टियां राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को सपोर्ट करेगी।
ममता की विपक्षी एकता को धार देने की कोशिश में कांग्रेस, शिवसेना, राकंपा, सपा, आरजेडी सहित तकरीबन 22 पार्टियों ने अब तक इसमें शामिल होेने के संकेत दिए है। आश्चर्यजनक बात तो ये है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, कभी एनडीए के सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल भी ममता की बैठक से दूरी बनाते दिखाई दे रही है।
बता दें कि ये बैठक इस लिए खास है कि राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए ममता बनर्जी ने बुलाई है।
बीजद के एक नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि पार्टी को अभी तक उनके प्रमुख नवीन पटनायक से कोई निर्देश नहीं मिला है। वहीं, वरिष्ठ नेता पिनाकी मिश्रा भी देश में नहीं हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) जैसे कुछ दलों को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ एनडीए के पास निर्वाचक मंडल के लगभग आधे वोट हैं। यदि उसे बीजद, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दलों का समर्थन मिल जाता है तो उसके उम्मीदवार के राष्ट्रपति चुनाव में जीत सुनिश्चित हो सकती है।
बहरहाल आगे देखना होगा कि ममता बनर्जी की बैठक से क्या कुछ सामने निकलकर आता है, और सबसे अहम की इसमें कितने विपक्षी दल के नेता शामिल होते हैं।