नई दिल्ली : शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत को मानहानि मामले में दोषी ठहराया गया है। मुंबई की एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने आज डॉ. मेधा किरीट सोमैया द्वारा दायर की गई शिकायत पर यह निर्णय किया। अदालत ने राउत को 15 दिन की साधारण कारावास की सजा सुनाई है, और उन्हें 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
मानहानि मामले में दोषी पाए गए संजय राउत
मुंबई की एक अदालत ने शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत को मानहानि के मामले में दोषी करार देते हुए 15 दिनों की जेल की सजा सुनाई है। यह मामला कथित रूप से महाराष्ट्र के एक भाजपा नेता के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से जुड़ा है। अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए राउत को दोषी ठहराया और उन्हें तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सामने आया जब राउत ने कथित तौर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा नेता के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया था। भाजपा नेता ने इसे लेकर राउत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें कहा गया कि उनके सम्मान और प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है। इस मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने पाया कि संजय राउत के बयान मानहानि की श्रेणी में आते हैं और उनके द्वारा दी गई सफाई संतोषजनक नहीं थी।
कोर्ट का फैसला और सजा
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति को बयान देते समय अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखना चाहिए। इस मामले में राउत का बयान न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि इससे भाजपा नेता की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची। अदालत ने इस आधार पर राउत को 15 दिनों की जेल की सजा सुनाई। इसके अलावा, उन्हें 10,000 रुपये का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया गया है।
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राउत के वकील की दलील
सुनवाई के दौरान राउत के वकील ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा था और उसका उद्देश्य किसी की मानहानि करना नहीं था। उन्होंने अदालत से सजा में रियायत की मांग की, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक मंच पर दिए गए बयान की गंभीरता को समझना जरूरी है और किसी भी प्रकार की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
फैसले का राजनीतिक प्रभाव
संजय राउत की इस सजा का महाराष्ट्र की राजनीति पर असर पड़ना तय है। शिवसेना (यूबीटी) और भाजपा के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं, और इस फैसले से राजनीतिक माहौल और गर्म हो सकता है। राउत, जो अपनी बेबाक और आक्रामक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं, इस फैसले के बाद शायद कुछ समय के लिए राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहेंगे।