नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने नए मंदिर-मस्जिद विवादों के लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि, अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ व्यक्तियों का मानना है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। जिस पर संत समाज की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, मैं मोहन भागवत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं, बल्कि हम उनके अनुशासक हैं।
RSS चीफ मोहन भागवत का बयान
दरअसल, आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने गुरुवार को पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान देश में सद्भावना की वकालत की। इस मौके पर उन्होंने मंदिर-मस्जिद को लेकर शुरू हुए नए विवादों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने हालिया विवादों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद ऐसे विवादों को उठाकर कुछ लोगों को लगता है कि वे ‘हिंदुओं के नेता’ बन जाएंगे। आरएसएस चीफ के ‘हिंदुओं के नेता’ बनने वाले बयान को हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भागवत के बयान का स्वागत किया है। इसके अलावा कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं ने भागवत के बयान को सही बताया है।
अविमुक्तेश्वरानंद की भी आई प्रतिक्रिया
आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान को लेकर संत समाज की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई हैं। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, मैं मोहन भागवत जी के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं. बल्कि हम उनके अनुशासक हैं।ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की आलोचना करते हुए उन पर राजनीतिक सुविधा के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया और कहा कि जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं।
तो इसमें गलत क्या है?
शंकराचार्य ने पूर्व में आक्रांताओं द्वारा कथित रूप से तोड़े गए मंदिरों की सूची बनाकर उनका पुरातत्व सर्वेक्षण किए जाने तथा हिंदू समाज के गौरव को पुनः पुरस्थापित किए जाने की भी मांग की है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अतीत में हिंदू समाज के साथ बहुत अत्याचर हुआ है और हिंदुओं के धर्मस्थलों को तहस नहस किया गया है। उन्होंने कहा, अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का पुनरूद्धार कर उन्हें पुनः संरक्षित करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है?। मुगलों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा। ऐसे में हिन्दू समाज अपने मंदिरों की मांग कर रहा है। जो कतई गलत नहीं है।
कुछ इस तरह से बोले बाबा रामदेव
हरिद्वार में स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती के 99वें बलिदान दिवस समारोह में योग गुरु बाबा रामदेव ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिदों को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी। बाबा रामदेव ने अपने बयान में कहा कि सनातन धर्म और उसके धार्मिक स्थलों पर हुए आक्रमणों को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि आक्रांताओं ने जो अन्याय किया, उसके लिए न्यायालय और समाज को निर्णायक कदम उठाने चाहिए। बाबा रामदेव ने कहा कि यह संघ प्रमुख का व्यक्तिगत बयान है। इस पर कई संतों की राय अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग सनातन धर्म को नष्ट करने का प्रयास करते हैं, उन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए। वहीं उन्होंने सनातन धर्म के विरुद्ध आक्रमण करने वालों के लिए सख्त कदम उठाने की वकालत की।