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पुलिस की वर्दी नहीं देती हमला करने का लाइसेंस: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, डीएम को भी लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस वर्दी निर्दोषों पर हमले का लाइसेंस नहीं है और गैरकानूनी कार्य करने वाले लोक सेवकों पर FIR दर्ज करने के लिए मंजूरी जरूरी नहीं। कोर्ट ने आरोपी पुलिसकर्मियों की याचिका खारिज कर दी।

by Mayank Yadav
April 29, 2025
in Breaking, प्रयागराज
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High Court
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Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पुलिस वर्दी किसी को निर्दोष नागरिकों पर हमला करने का लाइसेंस नहीं देती। यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपने आधिकारिक कर्तव्यों की सीमाओं से बाहर जाकर अवैध गतिविधि में शामिल होता है, तो उस पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने फर्रुखाबाद के एक मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा कार्यवाही रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। साथ ही, हाईकोर्ट ने एक अन्य आदेश में फतेहपुर के जिलाधिकारी को कड़ी फटकार लगाते हुए चेताया कि कोई भी अधिकारी यह न समझे कि वह न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है।

पुलिस वर्दी पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Allahabad High Court के न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई आरोपी पुलिस अधिकारी है, उसे कानून से बचाव का विशेषाधिकार नहीं मिल सकता। अदालत ने फर्रुखाबाद में डॉक्टर की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बाद दायर याचिका को खारिज कर दिया।

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डॉक्टर ने आरोप लगाया था कि जून 2022 में जब वह अपने स्टाफ के साथ यात्रा कर रहे थे, तो कुछ पुलिसकर्मियों ने रात में उनकी कार को रोका, उनसे मारपीट की, लूटपाट की और उन्हें बंधक बनाया। याचियों के वकील ने कहा कि अभियुक्त पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर थे और उनके खिलाफ बिना मंजूरी के मुकदमा नहीं चल सकता, लेकिन अदालत ने पाया कि घटना ड्यूटी से संबंधित नहीं थी और आरोप गंभीर थे। मेडिकल रिपोर्ट व गवाहों के बयान भी आरोपों का समर्थन करते थे।

डीएम फतेहपुर को फटकार, शपथपत्र पर आपत्ति

एक अन्य मामले में Allahabad High Court ने फतेहपुर के जिलाधिकारी को फटकार लगाई। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने शपथपत्र में लिखा था कि वह भविष्य में कोर्ट की गरिमा बनाए रखने का वचन देते हैं। इस पर अदालत ने कहा कि यह वचन छिपे हुए रूप में यह संकेत देता है कि अधिकारी स्वयं को न्यायपालिका की गरिमा को प्रभावित करने में सक्षम मानते हैं, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है।

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने स्पष्ट कहा कि न्यायालय को किसी भी प्रशासनिक अधिकारी से अपनी गरिमा की रक्षा के लिए आश्वासन लेने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह स्पष्ट करें कि उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों न की जाए।

गांवसभा भूमि पर अतिक्रमण के मामले में कोर्ट सख्त

Allahabad High Court ने आजमगढ़ जिले के वनवीरपुर गांव की गांवसभा भूमि पर अतिक्रमण के मामले में जिलाधिकारी की रिपोर्ट को अविश्वसनीय मानते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन आजमगढ़ को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिया।

अदालत ने आदेश दिया कि कोर्ट कमिश्नर मौके पर जाकर छह भूखंडों का भौतिक सत्यापन करें और यह जांचें कि वहां अतिक्रमण हुआ है या नहीं। सर्वे के दौरान याची, विपक्षी, तथा कलेक्टर या उनका प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। साथ ही सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का भी निर्देश दिया गया। रिपोर्ट दो मई तक पेश करनी होगी। कोर्ट ने एसएसपी आजमगढ़ को सर्वे के लिए पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इन आदेशों से साफ संकेत गया है कि सरकारी पद पर बैठे लोग कानून से ऊपर नहीं हैं। पुलिस अधिकारियों को आम नागरिकों पर अत्याचार करने का कोई विशेषाधिकार नहीं है और न्यायपालिका अपनी गरिमा और आम जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर सतर्क है।

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Tags: Allahabad High Court
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