बैंको से लोन लेना कितना मुश्किल हैं। ये तो हम सब जानते हैं। भई कितने चक्कर काटने पड़ते हैं लोन के लिए बैंको में। पर क्या आपने सोचा हैं,कि घर बैठे बैठे आपको लोन मिल जाये और बैंको के चक्कर भी न काटने पड़े। अपने कभी न कभी तो डिजिट लोन के बारे में तो जरूर सुना ही होगा। आज के वक्त में डिजिटल लोन लेना बेहद आसान हो गया है. डिजिटल तरीके से आप चंद मिनटों में लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. लेकिन डिजिटल तरीके से लोन लेने के बाद ग्राहकों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. इसी को ध्यान में रखकर रिजर्व बैंक ने एक आदेश जारी किया है.
ग्राहकों को पूरी जानकारी दें
दरअसल, आरबीआई ने बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और अन्य संस्थाओं को ये कहा है कि वे अपनी वेबसाइटों पर डिजिटल लोन के बारे में ग्राहकों को पूरी जानकारी दें.बैंकों और साथ ही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कहा गया है कि वे अपनी वेबसाइटों अपने एजेंटों के नाम का खुलासा भी करें. इसके अलावा अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से कहा है कि वे अपनी वेबसाइट पर बताएं कि वे किसी बैंक या एनबीएफसी की तरफ से कर्ज दे रहे हैं.
शिकायत दर्ज
यानि RBI पूरी कोशिश कर रहा है कि लोगो को डिजिटल लोन की पूरी समझ हो और वे इस सुविधा का पूरा फायदा उठाए। आरबीआई ने कहा हैं , ‘‘बैंकों/एनबीएफसी द्वारा किसी भी गतिविधि की आउटसोर्सिंग उनके दायित्वों को कम नहीं करती है, क्योंकि नियामक निर्देशों के पालन की जिम्मेदारी पूरी तरह उनकी होती है.’’ आरबीआई ने आगे कहा कि कर्ज की मंजूरी मिलने के तुरंत बाद कर्ज लेने वाले को बैंक या एनबीएफसी के लेटरहेड पर एक पत्र जारी करना चाहिए.इन दिशा-निर्देशों को जारी करते हुए आरबीआई ने कहा कि अक्सर डिजिटल लोन प्लेटफॉर्म अपने बैंक/ एनबीएफसी के नाम का खुलासा किए बिना खुद को उधार देने वाला बताते हैं, जिसके चलते ग्राहक नियामक के तहत उपलब्ध मंचों का इस्तेमाल कर अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा पाता है.
ग्राहकों के हितों की रक्षा
इसके अलावा अब भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकों और NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) से डिजिटल माध्यम से दिए जाने वाले कर्ज (Loan) को संशोधित नियमों के अंतर्गत लाने को कहा है. इसके लिए उन्हें 30 नवंबर तक समय दिया गया है. RBI का कहना है कि ऐसा ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए किया गया है.रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कुछ इकाइयों को कर्ज पर जरूरत से अधिक ब्याज लेने और बकाया कर्ज की वसूली के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए डिजिटल लोन के नियमों को कड़ा किया था.
30 नवंबर, 2022 तक का समय
आरबीआई ने एक सर्कुलर में कहा है कि क्रेडिट सर्विस प्रोवाइडर (LSPs) / डिजिटल लोन ऐप (DLAs) के साथ रेगुलेटेड एंटिटीज़ (बैंक और NBFC) की आउटसोर्सिंग व्यवस्था उनके दायित्वों को कम नहीं करती है. रेगुलेटेड एंटिटीज़ सुनिश्चित करेंगी कि आउटसोर्सिंग संस्थान मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करें. आगे कहा गया है कि निर्देश नया कर्ज लेने वाले मौजूदा ग्राहकों और नए ग्राहकों दोनों पर लागू होंगे. RBI के अनुसार, व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए विनियमित इकाइयों (Regulated Entities) को पर्याप्त व्यवस्था स्थापित करने को लेकर 30 नवंबर, 2022 तक का समय दिया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो कि मौजूदा डिजिटल कर्ज भी पूरी तरह से इन दिशानिर्देशों के अनुरूप हो.
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