Vishnupad temple history and significance : यह एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु की मूर्ति के बजाय उनके पैरों के निशान की पूजा होती है। यह मंदिर सनातन धर्म के भक्तों के बीच अत्यधिक पूजनीय है और यहां पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लोग दूर दूर से आते हैं ताकि वे भगवान विष्णु के चरणों की पूजा कर सकें। यह मंदिर भारत के गया जिले में स्थित है और इसके इतिहास में एक बहुत ही दिलचस्प पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
पौराणिक कथा और मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नामक राक्षस ने कठिन तपस्या की थी और भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था। उस वरदान के मुताबिक, गयासुर का कहना था कि जो भी व्यक्ति उसकी ओर देखेगा, उसे मोक्ष प्राप्त होगा। इस वरदान के कारण लोग अपने कर्मों के परिणामों से बेईमान हो गए थे। लोगों के इस गलत रास्ते पर जाने को देखकर भगवान विष्णु परेशान हो गए। फिर उन्होंने गयासुर से युद्ध किया और अपना दाहिना पैर गयासुर की छाती पर रख दिया। जिससे गयासुर पृथ्वी की सतह में दब गया और चट्टानी सतह पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान रह गए। इन निशानों को भक्तों ने देखा और उसी स्थान पर विष्णुपद मंदिर का निर्माण किया गया। इस कारण ही इसे विष्णुपद मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर की संरचना और पूजा
गया के विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में एक पत्थर पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं। यह निशान 18 इंच लंबे हैं और चांदी की अष्टकोणीय प्लेटों से घिरे हैं। इसके सामने माता लक्ष्मी की एक स्वर्ण प्रतिमा भी स्थापित है, जिसे प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है। यहां पर पूजा का बहुत महत्व है और प्रतिदिन हजारों लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए आते हैं।
विष्णुपद मंदिर की लोकप्रियता
यह मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने पितरों की श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं। लोग यहां अपने प्रियजनों के लिए पूजा करते हैं और उन्हें मोक्ष की कामना करते हैं। एक मान्यता यह भी है कि अगर गयासुर को एक दिन भी भोजन न मिले, तो वह फिर से संसार में लौट सकता है। इसलिए इस मंदिर में प्रतिदिन पूजा होती है और सालभर यहां तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है। यह मंदिर फल्गु नदी के तट पर स्थित है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है।
मंदिर का महत्व और श्रद्धालुओं का आस्था
विष्णुपद मंदिर का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी है। यह स्थान न केवल भक्तों के लिए मोक्ष का मार्ग है, बल्कि यह हमारे पुराणों और धर्म ग्रंथों के अनुसार भी अत्यधिक महत्व रखता है। यहां की पूजा आराधना और धार्मिक कार्यों में श्रद्धा और आस्था का बड़ा योगदान है। यहां हर साल श्रद्धालु पूजा के लिए आते रहते हैं।