आचार्य चाणक्य को राजनीति, कूटनीति और नीति शास्त्र का अद्भुत ज्ञाता माना जाता है। उनकी नीतियां और विचार आज भी लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। उनके नीति शास्त्र में कई ऐसी बाते कही गई हैं, जो आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वह प्राचीन काल में थे। चाणक्य नीति के कुछ ऐसी सलाह दी गई है जिसपर चलकर व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ती कर सकता है।
गुणों की परख जरूरी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों के गुणों की कद्र नहीं करता, हमेशा दूसरों की निंदा करता है और जीवन में श्रेष्ठता को पहचान ही नहीं पाता। जैसे भीलनी हाथी के मस्तक पर उत्पन्न होने वाले गजमुक्ता को पहचान कर छोड़कर घुंघचियों की माला (मूल्यहीन माला) पहनती है, वैसे ही जो व्यक्ति गुणों की महत्ता नहीं समझता, वह मूल्यवान चीजों को भी व्यर्थ समझ बैठता है।
जो मौन रहता है, वह स्वर्ग में सम्मान पाता है
चाणक्य की ये नीतियां सिर्फ श्लोक नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाती हैं। चाणक्य ने अपनी नीति में कई ऐसी बतों का जिक्र किया है जिसपर चलकर मनुष्य जीवन में आ रही कई तरह की बाधाओं से अपनी रक्षा कर सकता है। आचार्य की इन बातों पर चलकर लोक-परलोक को सुदारा जा सकता है। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति एक वर्ष तक मौन व्रत रखकर भोजन करता है, वह एक करोड़ युगों तक स्वर्ग में सम्मान प्राप्त करता है।
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श्लोक:
यस्तु संवत्सरं पूर्णं नित्यं मौनेन भुञ्जति।
युगकोटिसहस्रं तु स्वर्गलोके महीयते।।
इस श्लोक में कहा गया है कि जो वयक्ति अपने धर्म का पालन करते हुए अच्छे आचरण के साथ मेहनत करता है और वह जो भी उस मेहनत से कमाता है उससे संतुष्ट रहता है, तो उस व्यक्ति से सभी देवी-देवता प्रसन्न रहते हैं। अर्थात उसे अपनी जीवन में किसी प्रकार के कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता। यही नहीं उस व्यक्ति का सभी जगहों पर सम्मान होता है। इस श्लोक में मौन का मतलब चुप रहना नहीं, बल्कि मन की शांति, स्थिति की स्वीकृति और समझदारी का प्रतीक है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.)