Religion News: हिमालय की विशाल और रहस्यमयी पहाड़ियों में गंधमादन पर्वत एक ऐसा जगह है जिसे भारत का सबसे रहस्यमयी इलाका माना जाता है। इस पर्वत का जिक्र रामायण, महाभारत और पुराणों जैसे पुराने ग्रंथों में किया गया है। जैसे तिब्बत में शांग्री-ला घाटी को रहस्यों से घेर लिया गया है, वैसे ही गंधमादन पर्वत भी एक रहस्यमयी और अलौकिक जगह है। आज हम जानेंगे इस पर्वत के बारे में कुछ खास बातें, जो इसे इतना दिलचस्प बनाती हैं।
गंधमादन पर्वत के रहस्य
गंधमादन पर्वत की सटीक जगह आज तक कोई नहीं जानता। यही वजह है कि इस पर्वत के बारे में और भी रहस्य बने हुए हैं। कहा जाता है कि यह पर्वत बद्रीनाथ और मानसरोवर के बीच में है। जैसे शांग्री-ला को कुछ खास साधक ही देख पाते हैं, वैसे ही गंधमादन पर्वत को भी सिर्फ योगी और साधक ही महसूस कर सकते हैं। कहते हैं कि यहां अभी भी कई ऋषि-मुनि तपस्या कर रहे हैं। गंधमादन पर्वत का संबंध हनुमान जी से भी जुड़ा हुआ है, और कई संत मानते हैं कि हनुमान जी अभी भी यहीं ध्यान में लीन रहते हैं।
गंधमादन पर्वत का आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व
गंधमादन सिर्फ एक पर्वत नहीं है, यह एक अलग और आध्यात्मिक जगह है। पुराने ग्रंथों में इसे एक रहस्यमयी, दूर और अलौकिक स्थान बताया गया है। रामायण में लिखा है कि हनुमान जी ने लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी गंधमादन पर्वत से ही लाई थी। महाभारत में भीम और हनुमान का मिलन इसी पर्वत पर हुआ था।
पुराणों में गंधमादन पर्वत का जिक्र
विष्णु पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण में गंधमादन पर्वत को कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित एक सुगंधित और स्वर्ग जैसा स्थान बताया गया है। इन ग्रंथों में कहा गया है कि यहां कई सिद्ध ऋषि रहते हैं और यह स्थान कुबेर के साम्राज्य का हिस्सा है।
संतों के लिए तपस्या की भूमि
शास्त्रों में यह भी लिखा है कि महर्षि कश्यप ने गंधमादन पर्वत पर बड़ी कठिन तपस्या की थी। श्रीमद्भागवत और रामायण में भी बताया गया है कि हनुमान जी इसी पर्वत के पास स्थित कमल सरोवर के पास रहते थे और भगवान राम की पूजा करते थे। इसे संतों और साधकों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है।
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