Importance and Right Way of Applying Sindoor : सिंदूर का नाम आते ही सबसे पहले एक विवाहित स्त्री की छवि मन में बनती है। हिंदू संस्कृति में सिंदूर सिर्फ श्रृंगार का हिस्सा नहीं, बल्कि एक शुभ और शक्तिशाली प्रतीक माना गया है। यह सुहाग की निशानी होती है और शादीशुदा जीवन की सकारात्मकता और मजबूती का संकेत देती है। लेकिन कई बार महिलाएं इसे जल्दबाज़ी में या गलत तरीके से लगाती हैं, जिससे अनजाने में नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।
सिंदूर लगाने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
हिंदू परंपरा के अनुसार, सिंदूर को 16 श्रृंगार में पहला स्थान दिया गया है। यह विवाह का प्रतीक है और माना जाता है कि इसे लगाने से पति की उम्र लंबी होती है, उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, सिंदूर मंगल ग्रह से जुड़ा होता है, जो शादीशुदा जीवन, ऊर्जा और आत्मबल का प्रतीक है। सिंदूर लगाने से न सिर्फ मंगल ग्रह मजबूत होता है, बल्कि देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
सिंदूर लगाने से जुड़ी कुछ वैज्ञानिक और मानसिक बातें
सिंदूर लगाने से सिर के बीचों-बीच की नस, जिसे सुषुम्ना नाड़ी कहते हैं, सक्रिय होती है। यह नाड़ी मानसिक संतुलन बनाए रखने, तनाव कम करने और सकारात्मक ऊर्जा देने का काम करती है।
इसके अलावा, सिंदूर महिला को आत्मबल और स्त्रीत्व का एहसास दिलाता है। यह उसे आध्यात्मिक रूप से भी जोड़ता है और उसके जीवन में एक अलग ही ऊर्जा का संचार करता है।
गलत तरीके से सिंदूर लगाने के दुष्परिणाम
जल्दीबाज़ी में सिंदूर लगाने से उसका सही प्रभाव नहीं पड़ता। यह न सिर्फ धार्मिक रूप से अशुभ माना जाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी इसका असर कम हो सकता है।
बिना ध्यान या श्रद्धा के लगाया गया सिंदूर ऊर्जा को सक्रिय नहीं करता और इसका सकारात्मक प्रभाव भी घट जाता है। इसलिए हमेशा शांत मन और विश्वास के साथ सिंदूर लगाना चाहिए।
सिंदूर लगाने का सही तरीका
सिंदूर लगाने से पहले हाथ और माथा साफ रखें।
इसे मांग में बीच से लगाएं, ध्यान से और पूरी श्रद्धा के साथ।
सिंदूर लगाते समय मन में सकारात्मक भाव रखें और ईश्वर का स्मरण करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है। यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।