Maha Shivratri 2026 कब है? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

Maha Shivratri 2026 रविवार, 15 फरवरी को मनाई जाएगी। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 15 फरवरी की शाम से शुरू होकर 16 फरवरी तक रहेगी। निशिता काल में पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:55 से 12:56 तक है, जबकि चारों प्रहर की पूजा इस रात विशेष फलदायी मानी जाती है।

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजनीय और पवित्र त्योहारों में से एक है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है। हर वर्ष देशभर में भक्त श्रद्धा, उपवास और रात्रि जागरण के साथ इस पर्व को मनाते हैं। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आने वाला यह पर्व आध्यात्मिक साधना, ध्यान और शिवभक्ति के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
साल 2025 की तरह, Maha Shivratri 2026 भी फरवरी माह में ही पड़ रही है। आइए इस लेख में जानते हैं—2026 में महाशिवरात्रि कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त, चार प्रहर पूजा का समय और इस पर्व का धार्मिक महत्व।

महाशिवरात्रि 2026 कब है? (Maha Shivratri 2026 Date)

फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि:

निशिता काल (मध्य रात्रि) में महाशिवरात्रि की पूजा सबसे शुभ मानी जाती है। इसी कारण Maha Shivratri 2026 रविवार, 15 फरवरी को ही मनाई जाएगी।

निशिता काल पूजा मुहूर्त (Nishita Kaal Puja Muhurat 2026)

महाशिवरात्रि पारण समय 2026

महाशिवरात्रि 2026 चार प्रहर पूजा का समय

महाशिवरात्रि की रात चार प्रहरों में पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। भक्त अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी प्रहर या चारों प्रहरों में पूजा कर सकते हैं।

1. प्रथम प्रहर पूजा

2. द्वितीय प्रहर पूजा

3. तृतीय प्रहर पूजा

4. चतुर्थ प्रहर पूजा

Maha Shivratri 2026 पूजा विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)

महाशिवरात्रि की पूजा सामान्य रूप से इस प्रकार की जाती है:

1. सुबह-स्नान एवं संकल्प

2. शिवलिंग अभिषेक

3. रात्रि जागरण

4. अगले दिन पारण

महाशिवरात्रि 2026 का महत्व (Importance of Maha Shivaratri 2026)

महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं:

1. शिव-पार्वती विवाह

मान्यता है कि इसी दिव्य दिवस पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन दांपत्य सुख और वैवाहिक जीवन की उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

2. भगवान शिव का तांडव

एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान शिव ने सृष्टि के संचालन हेतु तांडव नृत्य किया था।

3. आध्यात्मिक साधना का श्रेष्ठ दिन

यह माना जाता है कि इस दिन—

4. ग्रह-नक्षत्रों का विशेष योग

महाशिवरात्रि पर ध्यान और मंत्रजाप से व्यक्ति के भीतर ऊर्जा का संचार बढ़ता है, क्योंकि इस दिन ब्रह्मांड की ऊर्जा पृथ्वी पर विशेष रूप से सक्रिय मानी जाती है।

Maha Shivratri 2026 में क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:

क्या न करें:

Maha Shivratri 2026 रविवार, 15 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन निशिता काल में पूजा का समय रात 11:55 से 12:56 तक रहेगा। चार प्रहर पूजा और शिवलिंग अभिषेक से विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक होने के साथ-साथ आध्यात्मिक जागरण, आत्मशुद्धि और मनोकामना सिद्धि का श्रेष्ठ अवसर भी माना जाता है।

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