Radha-Krishna Temple : मध्य प्रदेश के इंदौर में गौरीकुंड चौराहे पर एक ऐसा अनोखा राधा-कृष्ण मंदिर स्थित है, जो अपनी अनूठी परंपराओं के कारण चर्चा में रहता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां भगवान राधा-कृष्ण की कोई मूर्ति नहीं स्थापित है। इसके बावजूद यह एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल माना जाता है।
यहां होती है वस्त्रों और ग्रंथों की पूजा
इस मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को जो चार आकृतियां दिखाई देती हैं, वे मूर्तियां नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के वस्त्र और मोर मुकुट हैं। यहां सुबह-शाम भक्तों की भीड़ लगी रहती है, विशेषकर निजानंद संप्रदाय से जुड़े अनुयायियों की। मंदिर के सेवक राजेश व्यास बताते हैं कि यह स्थान निजानंद संप्रदाय से जुड़ा है, जिसकी स्थापना प्राणनाथ जी महाराज ने की थी। इस संप्रदाय में मूर्तिपूजा नहीं की जाती।
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इसके स्थान पर राधा-श्याम (राधा-कृष्ण) के वस्त्रों और धार्मिक ग्रंथों की पूजा की जाती है। मंदिर में पूजित एक खास ग्रंथ है जिसे ‘कुलजम स्वरूप’ कहा जाता है। इस ग्रंथ को विशेष माना जाता है क्योंकि इसमें हिंदू, इस्लाम, सिख और ईसाई धर्म सहित कई धार्मिक ग्रंथों के सार को समाहित किया गया है। यह ग्रंथ इस मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है।
400 वर्षों से चली आ रही है यह परंपरा
इस मंदिर में वस्त्र और ग्रंथों की पूजा की परंपरा पिछले चार सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। इस संप्रदाय से जुड़ी एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, प्राणनाथ जी महाराज ने छत्रसाल महाराज को आशीर्वाद दिया था कि उनके घोड़े के पैर जहां-जहां पड़ेंगे, वहां धरती से हीरे निकलेंगे। देशभर में निजानंद संप्रदाय के कई मंदिर हैं, लेकिन इंदौर का यह राधा-श्याम मंदिर अपनी मूर्ति-विहीन परंपरा और आध्यात्मिक महत्व के कारण विशेष पहचान रखता है।