Ashok sundari story भगवान शिव और माता पार्वती की कहानियाँ हमेशा से लोगों को आकर्षित करती रही हैं। उन्हीं में से एक है उनकी बेटी अशोक सुंदरी की कहानी, जो न सिर्फ सुंदरता में बेमिसाल थीं, बल्कि जिनकी जिंदगी में कई अद्भुत घटनाएं घटीं। इस कहानी में हम जानेंगे कि कैसे अशोक सुंदरी का विवाह राजा नहुष से तय हुआ और वह दामाद बाद में सर्प क्यों बना।
अशोक सुंदरी का जन्म कैसे हुआ?
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि वे उन्हें धरती के सबसे सुंदर बाग में ले चलें। भगवान शिव उन्हें नंदनवन ले गए। वहां माता पार्वती को एक खास पेड़, कल्पवृक्ष, बहुत पसंद आया। यह पेड़ इच्छाएं पूरी करने वाला था, इसलिए पार्वती ने उसे कैलाश पर मंगवाकर अपने बग़ीचे में लगवा दिया।
कैलाश पर्वत पर उन्हें अकेलापन महसूस होने लगा, तब उन्होंने कल्पवृक्ष से एक सुंदर बेटी की इच्छा की। उसी इच्छा से जन्म हुआ अशोक सुंदरी का, जो बहुत ही खूबसूरत और तेजस्वी थीं। माता पार्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनका विवाह एक ऐसे युवक से होगा जो ताकतवर और धर्मपरायण होगा।
अशोक सुंदरी और राक्षस हुंड का टकराव
Ashok sundari का विवाह राजा नहुष से तय हो गया था, जो ययाति के वंशज थे। एक दिन जब वह अपनी सखियों के साथ नंदनवन में घूम रही थीं, तभी एक राक्षस हुंड वहाँ आया। उसने अशोक सुंदरी को देखकर उससे विवाह की इच्छा जताई। लेकिन जब अशोक सुंदरी ने कहा कि उसका विवाह पहले ही तय हो चुका है, तो हुंड बहुत गुस्सा हुआ और नहुष को मारने की धमकी देने लगा।
अशोक सुंदरी ने उसे श्राप दे दिया कि उसकी मृत्यु नहुष के ही हाथों होगी। हुंड ने राजा नहुष को बाल अवस्था में अगवा कर लिया, लेकिन एक दासी ने उसे बचा लिया और ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पहुँचा दिया।
नहुष बना वीर योद्धा
ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बड़ा हुआ और एक शक्तिशाली राजा बनकर लौटा। उसने हुंड राक्षस को मार दिया और फिर अशोक सुंदरी से विवाह किया। इस पवित्र विवाह के बाद उसे एक बहादुर पुत्र और अनेक सुंदर कन्याओं का पिता बनने का वरदान मिला।
नहुष को क्यों मिला श्राप?
जब इंद्र देव तपस्या में लीन हो गए, तो नहुष को इंद्र की जगह देवताओं का राजा बना दिया गया। मगर इस पद का घमंड उसके सिर चढ़ गया। उसने इंद्राणी शचि को अपने महल बुलाया और रिषियों से पालकी उठवाकर उनके पास गया। रास्ते में उसने ऋषि अगस्त्य को लात मार दी, जिससे क्रोधित होकर ऋषि ने उसे श्राप दे दिया कि वह 10,000 साल तक सर्प योनि में रहेगा।
मुक्ति का उपाय पूछने पर ऋषि अगस्त्य ने कहा कि जब कोई ज्ञानी व्यक्ति उसके प्रश्नों का सही उत्तर देगा, तभी वह श्राप से मुक्त होगा।
अशोक सुंदरी और नहुष की यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अगर उसमें घमंड आ जाए तो उसका पतन निश्चित है। धर्म, विनम्रता और सही मार्ग पर चलने वाला ही सच्चा विजेता होता है।
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