उत्तराखंड: बाबा केदारनाथ का पट खुलते ही चारो ओर जगमगा उठा जग और कड़ाके की सर्दी के बीच तड़के 4 बजे से ही बाबा केदार के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। जैसे ही कपाट खुले हर-हर महादेव के जयकारे से केदारनाथ धाम गूंज उठा। कई किलोमीटर लंबी लाइन में बाबा के दर्शन के लिए महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवा शामिल थे।
बड़ी संख्या में युवा जोड़े भी बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। तमिलनाडु, केरल से लेकर पश्चिम बंगाल और असम तक के लोग केदारनाथ पहुचे थे। हजारों की संख्या में लोगों को कड़ाके की ठंड में रात बाहर गुजारनी पड़ी थी, लेकिन उनके उत्साह में जरा सी भी कमी नहीं देखी गई। श्रद्धालुओं का कहना था कि बाबा के दर्शन की तपस्या में ये हमारी आखिरी परीक्षा जैसी थी
बाबा केदारनाथ के पट 6 महीने बाद खुल गए हैं। शुभ मुहूर्त के मुताबिक शुक्रवार सुबह 6.25 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर के कपाट खोले गए, जिसके बाद रावल (मुख्य पुजारी) ने बाबा की डोली लेकर मंदिर में प्रवेश किया। इस मौके पर लगभग 20 हजार श्रद्धालुओं के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।
मंदिर प्रांगण को 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इससे पहले, गुरुवार को ही केदारनाथ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। 2020 में कोरोना महामारी फैलने के बाद से यहां भक्तों को दर्शन की इजाजत नहीं थी। हर साल कपाट खुलते थे और बाबा की पूजा-आरती की जाती थी।
मान्यता है ख़ास
मान्यता है कि बाबा केदारनाथ जगत कल्याण के लिए 6 महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदार समाधि से जागते हैं। इसके बाद भक्तों को दर्शन देते हैं। बाबा केदारनाथ का मंदिर भारतीयों के लिए केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत की धार्मिक संस्कृति का संगम स्थल भी है। उत्तर भारत में पूजा पद्धति अलग है, लेकिन बाबा केदारनाथ में पूजा दक्षिण की वीर शैव लिंगायत विधि से होती है। मंदिर के गद्दी पर रावल विराजते हैं, जिन्हें प्रमुख भी कहा जाता है। मंदिर में रावल के शिष्य पूजा करते हैं। रावल यानी पुजारी, जो कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं।
(By: ABHINAV SHUKLA)