Head shaving after death : जब परिवार में किसी की मृत्यु होती है, तो सभी लोग गम में डूब जाते हैं। लेकिन इस दुख के समय भी अंतिम संस्कार की तैयारियां करनी होती हैं। आपने देखा होगा कि अंतिम संस्कार के दौरान मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति सिर के बाल मुंडवा लेता है। कुछ समय बाद परिवार के अन्य पुरुष सदस्य भी ऐसा करते हैं। यह परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे धार्मिक और स्वास्थ्य से जुड़े कारण हैं।
प्यार और सम्मान का प्रतीक
किसी की मृत्यु पर मुंडन करवाना उनके प्रति प्यार और सम्मान दिखाने का तरीका है। बाल त्यागना एक बड़ी चीज का त्याग माना जाता है। इससे यह संदेश जाता है कि हमें उनके जाने का गहरा दुख है। साथ ही, ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। यह एक तरह से उन्हें श्रद्धांजलि देने जैसा है।
स्वास्थ्य के लिए जरूरी
मृत्यु के समय शव के पास काफी समय बिताने से कई तरह के कीटाणु और बैक्टीरिया शरीर में आ सकते हैं। इससे बीमारियां फैलने का खतरा होता है। इसलिए मुंडन के साथ-साथ स्नान करना, नाखून काटना और धूप में बैठना जैसे नियम बनाए गए हैं।
मुंडन के फायदे
बाल हटाने से सिर की सफाई होती है और कीटाणु दूर हो जाते हैं।
सिर पर सीधी धूप लगने से शरीर में गर्मी आती है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है।
यह शरीर को नई ऊर्जा देता है और बीमारियों से बचाता है।
आत्मा को मुक्त करने का तरीका
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाल आत्मा के संपर्क में आने का माध्यम होते हैं। जब किसी की मृत्यु होती है, तो आत्मा परिजनों से जुड़ सकती है। इससे आत्मा का मोक्ष यानी मुक्ति नहीं हो पाती।
इसलिए मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति बाल मुंडवाकर यह संपर्क खत्म करता है। ऐसा माना जाता है कि इससे आत्मा को शांति मिलती है और वह मुक्त हो जाती है।
मुंडन के नियम
हर परिवार में इसके नियम अलग-अलग होते हैं। कुछ जगहों पर परिवार के सभी पुरुष सदस्य मुंडन करवाते हैं, जबकि कुछ जगहों पर सिर्फ मृतक के बेटे या मुखाग्नि देने वाले का मुंडन होता है। यह परंपरा आज भी हिंदू धर्म में निभाई जाती है।
धार्मिक और स्वास्थ्य कारण
मुंडन सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और स्वास्थ्य से जुड़े कई फायदे हैं। यह मृतक की आत्मा को शांति देता है और जीवित लोगों की सेहत का भी ख्याल रखता है।
अब आप समझ गए होंगे कि मृत्यु के बाद मुंडन क्यों करवाया जाता है। यह मृतक के लिए सम्मान, आत्मा की मुक्ति और जीवित लोगों की सेहत के लिए जरूरी है।
इससे कीटाणु दूर होते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है।