दिल्ली में शराब घोटाले के मामले की आग लागतार बढ़ती जा रही है, पहले स्तयेंद्र जैन फिर मनीष सिसोदिया और अब बारी थी आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह की। जिन्हें बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन के बाद संजय सिंह आम आदमी पार्टी के ऐसे तीसरे प्रमुख नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय एजेंसी ने गिरफ्तार किया है।
इशारा आप भी समझ रहे हैं, और हम भी समझ रहें
एक के बाद एक की बारी जो आ रही
वो रह गया मैदा़न में अकेला लेकिन हिम्मत है नहीं उसने हारी
सच क्या, झूठ क्या ये तो बात कि बात हैं
बात तो ये हैं कि जीत सच्चाई की है……..
जानिए कैसे हुई एक्साइज पॉलिसी की शुरुआत
देखा जाए तो इस आग का आगाज पहले से ही शुरू हो चुका था, 22 मार्च साल 2021 से दिल्ली में आप पार्टी द्वारा नई एक्साइज पॉलिसी का ऐलान किया गया था जिसके बाद कई पार्टीयों ने इस नीति का जमकर विरोध किया था। बीजेपी ने जगह-जगह भारी प्रदर्शन किए थे और कांग्रेस पार्टी भी इसमें शामिल थी। आपको बता दें कि जब इस नई नीति की घोषणा की गई थी तो आप पार्टी का कहना था कि नई नीति के तहत शराब की बिक्री में सरकार का कोई रोल नहीं रहेगा।
शराब को सिर्फ निजी दुकानों को ही बेचने की अनुमति होगी। इसके लिए न्यूनतम 500 वर्ग फुट क्षेत्र में दुकानें खोली जाएंगी और दुकान का कोई भी काउंटर सड़क पर नहीं होगा। वहीं शराब की दुकानों का सामान दिल्लपी में ही बेचा जाएगा, नई नीति से उन्होंने रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई थी।
नई नीति में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकाने पहले की तरह 850 ही रहेंगी. दिल्ली की नई शराब बिक्री नीति के तहत, शराब की होम डिलीवरी और दुकानों को सुबह 3 बजे तक खुले रहने की परमिशन दी गई है. लाइसेंसधारी शराब पर असीमित छूट भी दे सकते हैं। इसके बाद नवंबर 2021 में नई शराब नीति लागू कर दी गई थी। हालांकि दिल्ली सरकार की नई शराब नीति जल्द ही मुश्किलों में पड़ गई।
यह भी पढ़े :- 5 दिन के लिए और बढ़ी मनीष सिसोदिया की रिमांड, 22 मार्च तक ED की हिरासत में रहेंगे
कैसे फंसे मनीष सिसोदिया?
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले में गड़बड़ी का अंदेशा जताया। जिसके बाद जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर मनीष सिसोदिया पर नियमों को तोड़ने-मरोड़ने और शराब के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने का आरोप लगाते हुए, राज्यपाल ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।
जिसके बाद सीबीआई ने 19 अगस्त को मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी जिसके बाद 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आबकारी विभाग के एक IAS अफसर ने CBI की पूछताछ में सिसोदिया का नाम लिया था। इस अफसर ने बताया था कि सिसोदिया ने ऐक ऐसी शराब नीति बनवाई थी, जिससे सरकार को मुनाफा नहीं हो, व्यापारियों को मोटा फायदा हो। इसी बयाुन के आदार पर सिसोदिया से पूछताछ की गई थी।
इतना ही नहीं अफसर ने सिसोदिया पर सबूत नष्ट करने का भी आरोप लगाया था। CBI ने सिसोदिया और अफसर को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की तो उन्होंने कई सवालों के जवाब नहीं दिए। यही सिसोदिया की गिरफ्तारी की वजह बनी।
संजय सिंह पर क्या हैं आरोप?
दरअसल, मामला उन आरोपों से जुड़ा है, जिसमें कहा गया कि संजय सिंह और उनके सहयोगियों ने 2020 में शराब की दुकानों और व्यापारियों को लाइसेंस देने के दिल्ली सरकार के फैसले में भूमिका निभाई, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का उल्लंघन हुआ. ईडी ने पहले संजय सिंह के करीबी सहयोगी अजीत त्यागी और अन्य ठेकेदारों और व्यापारियों के घरों और कार्यालयों सहित कई स्थानों की तलाशी ली, जिन्हें कथित तौर पर पॉलिसी से लाभ हुआ था. ईडी ने अपने करीब 270 पेज के सप्लीमेंट्री चार्जशीट में इस मामले में मनीष सिसोदिया को मुख्य साजिशकर्ता बताया है.
संजय सिंह के करीबियों के घर जब कुछ दिनों पहले छापेमारी हुई थी, तो उन्होंने ED और सरकार को चुनौती दी थी. संजय सिंह ने कहा था कि अगर हिम्मत है, तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाएं. आज उनकी गिरफ्तारी ने अरविंद केजरीवाल के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, क्योंकि चाहे आम आदमी पार्टी का विस्तार हो या फिर विपक्ष के साथ तालमेल. संजय सिंह सारी जिम्मेदारी अकेले निभा रहे थे. उत्तर प्रदेश से आने वाले संजय सिंह अरविंद केजरीवाल के सबसे पुराने और भरोसेमंद सिपहसालार हैं. जो उनके साथ अन्ना हजारे के आंदोलन से लेकर आम आदमी पार्टी बनाए जाने तक साथ में डट कर खड़े रहे.इसलिए संजय सिंह की गिरफ्तारी को दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है.
संसद में सरकार को घेरने वाले संजय सिंह सबसे आगे
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ हमला बोलने वाले आम आदमी पार्टी के नेताओं में संजय सिंह को सबसे आगे देखा गया, जो 3 कृषि कानूनों से लेकर मणिपुर मामले तक हर बड़े मुद्दे पर संसद में सरकार को घेरते रहे. चाहे ममता बनर्जी हों या फिर उद्धव ठाकरे अरविंद केजरीवाल के साथ संजय सिंह की मौजूदगी पार्टी में उनके कद को बखूबी समझाने के लिए काफी है. आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह को साल 2018 और फिर 2022 में राज्यसभा भेजा. इस दौरान संजय सिंह आम आदमी पार्टी और विपक्षी दलों के बीच अहम कड़ी बनकर उभरे हैं. इसलिए जब उन्हें संसद से निलंबित किया गया तो सोनिया गांधी उन्हें अपना समर्थन देने के लिए आईं थीं.
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता थे। संजय सिंह आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य होने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश-बिहार में पार्टी की कमान उनके पास ही है. चुनावी राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर और देश के दूसरे राज्यों में संगठन निर्माण में वो संदीप पाठक के साथ महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी का चेहरा और तालमेल रखने की जिम्मेदारी भी उनके पास ही है।
बीजेपी पर उठ रहे कई सवाल
अब एक के बाद एक आप पार्टी के कई बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे देखकर कई सवाल खड़े होने लगें हैं, कोई इसे बीजेपी की चाल बता रहा है तो कोई यह तक कह रहा है कि चुनाव का डर और अडानी का मुद्दा उठाने पर बीजेपी जवाब देने से डरी हुई है । इसी वजह से बीजेपी आप पार्टी को कमजोर करने में लगी है?