Gukesh Beats Carlsen Rapid: दुनिया के सबसे बड़े शतरंज मंचों में से एक SuperUnited Rapid and Blitz Croatia 2025 में 19 वर्षीय भारतीय सुपरस्टार डी गुकेश ने इतिहास रच दिया। गुकेश ने एक बार फिर पांच बार के विश्व चैम्पियन और शतरंज के लीजेंड मैग्नस कार्लसन को पटखनी दी। गुकेश की यह जीत सिर्फ एक खेल नहीं थी, यह पीढ़ियों के बीच का एक भावनात्मक संघर्ष था — जहां उगता सूरज डूबते सूरज को विदा कहता है, पूरे सम्मान के साथ।
गुकेश: एक नए युग का उद्घोष
महज 19 साल की उम्र में गुकेश ने जो कर दिखाया है, वह अब सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं रही। यह अब शतरंज के तख्त को बदलने वाली कहानी है। ज़ाग्रेब की बिसात पर जब कार्लसन ने सफेद मोहरों से इंग्लिश ओपनिंग खेली, तो शायद उन्हें अंदाजा नहीं था कि सामने बैठा यह किशोर अब ‘प्रतिद्वंद्वी’ नहीं, बल्कि ‘उत्तराधिकारी’ बन चुका है।
Gukesh ने अपनी अद्भुत तैयारी, समय प्रबंधन और बेमिसाल आत्मविश्वास के साथ 49 चालों में कार्लसन की बिसात को ध्वस्त कर दिया। यह वही कार्लसन हैं, जिनकी उपस्थिति से बिसात कांपती थी, जिनके खिलाफ खेलते हुए कई दिग्गज मानसिक रूप से हार मान लेते थे। मगर गुकेश ने न दबाव महसूस किया, न भ्रम। उन्होंने कार्लसन के हर कदम को बेखौफ पढ़ा और अंत में केवल एक शांत हैंडशेक से कार्लसन की हार की मुहर लगवा दी।
Great News!
Gukesh defeats Carlsen again, and this is his 5th win in a row in Zagreb. 😎
Kasparov remarks: "A very important day. Now we can question Magnus' domination. It's not just the second loss, it's a very convincing loss."
Bhartiya Chess going really strong. 🇮🇳 pic.twitter.com/5SjXp0rlJm
— Pranav Mahajan (@pranavmahajan) July 3, 2025
‘अब मैग्नस की बादशाहत सवालों के घेरे में’
Gukesh की यह जीत उनके करियर की दूसरी सीधी जीत है मैग्नस कार्लसन के खिलाफ, वह भी महज़ कुछ हफ्तों के भीतर। इससे पहले गुकेश ने Norway Chess 2025 में भी कार्लसन को क्लासिकल फॉर्मेट में हराकर दुनिया को चौंका दिया था। तब कार्लसन की निराशा इतनी तीव्र थी कि वे गुस्से में टेबल पर मुक्का मारते हुए कैमरे में कैद हो गए थे। लेकिन इस बार वे चुपचाप हार मानते हुए बिसात छोड़कर चले गए।
शतरंज के पूर्व विश्व चैम्पियन गैरी कास्पारोव ने लाइव कमेंट्री के दौरान कहा, “अब हम वाकई मैग्नस की बादशाहत पर सवाल कर सकते हैं।” कास्पारोव ने यह भी जोड़ा कि गुकेश की यह जीत किसी तुक्के का नतीजा नहीं, बल्कि एक शानदार लड़ाई का निष्कर्ष थी।
जब चैलेंजर, हीरो बन जाता है
गुकेश ने खुद भी मैच के बाद बेहद विनम्रता से कहा, “यह मेरे लिए बहुत अहम दिन है। दो बार लगातार हारने वाली स्थिति से वापसी कर जीतना, वो भी मैग्नस के खिलाफ — यह सपना सच होने जैसा है।”
इस जीत को और खास बनाता है वह मनोवैज्ञानिक पहलू, जिसे गुकेश ने बेमिसाल ढंग से जीत लिया। दरअसल, इस टूर्नामेंट से पहले मैग्नस कार्लसन ने गुकेश की तेज़ और ब्लिट्ज फॉर्मेट में क्षमताओं पर सवाल उठाते हुए उन्हें “संभवतः कमजोर खिलाड़ियों में से एक” कहा था। मगर गुकेश ने अपने खेल से उन शब्दों का मौन जवाब दे दिया।
सोशल मीडिया भी गुकेश की ‘ठंडी आग’ की तारीफों से गूंज उठा। एक यूज़र ने लिखा, “गुकेश ने बिना किसी तामझाम के, बस ठंडी तैयारी और साफ-सुथरी रणनीति से मैग्नस को चित्त कर दिया।” कई प्रशंसकों ने इसे शतरंज में एक युग का संभावित अंत बताया।
मैग्नस: एक महानायक का संघर्ष
मैग्नस कार्लसन ने हार के बाद पूरी ईमानदारी से स्वीकार किया, “सच कहूं तो अभी मैं शतरंज खेलने का आनंद नहीं ले रहा हूं। खेलते समय मैं लगातार हिचकिचा रहा हूं, और यह वाकई में बहुत खराब फॉर्म है।” कार्लसन की यह टिप्पणी बताती है कि समय के साथ उनका वह मानसिक प्रभुत्व अब दरक रहा है, लेकिन उनकी ईमानदारी उन्हें आज भी महान बनाती है।
कार्लसन का करियर अभी भी बेमिसाल है, लेकिन गुकेश जैसे युवा खिलाड़ियों के उदय ने अब शतरंज की दुनिया को एक नई दिशा दे दी है। यह प्रतिस्पर्धा अब सिर्फ चालों की नहीं, बल्कि पीढ़ियों की लड़ाई बन गई है।
आगे क्या?
तीन और रैपिड राउंड्स बाकी हैं, और गुकेश 10 अंकों के साथ टूर्नामेंट में अकेले शीर्ष पर हैं। कार्लसन फिलहाल 6 अंकों के साथ पीछे चल रहे हैं। लेकिन जो बात अब सबसे ज्यादा गूंज रही है, वह यह कि गुकेश ने न सिर्फ मैच जीता, बल्कि दिल भी जीत लिए।
Gukesh अब सिर्फ एक उभरता सितारा नहीं हैं, वह वह सूरज हैं, जिसने मैग्नस की लंबी बादशाहत की छाया को धीरे-धीरे छोटा करना शुरू कर दिया है।
यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, यह एक युग परिवर्तन का संकेत था।
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