SC Freebies Hearing: राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव के समय की जाने वाली मुफ्त की घोषणाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त की रेवड़ी से संबंधित इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई है. अब फैसले की घड़ी भी आ गई है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ मुफ्त की रेवड़ियों से जुड़े इस मामले में आज अपना फैसला सुना देगी.
राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त की घोषणाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर शुक्रवार यानी 26 अगस्त को फैसला आएगा. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट बार-बार सरकार से ये कह चुका है कि इसे लेकर सर्वदलीय बैठक के जरिये एक आम राय बनाई जाए. निर्वाचन आयोग ने भी कहा कि इस बाबत नियम कायदे और कानून बनाने का काम उसका नहीं बल्कि सरकार का है.
इससे पहले सुनवाई के दौरान इस मामले को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने जरूरी बताया है. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि मुफ्त में कुछ भी बांटने से इसका बोझ आम जमता और टैक्स पेयर पर आता है. कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर चर्चा की जरूरत है क्योंकि देश के कल्याण का मसला है. अदालत ने कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों का जनता से मुफ्त की रेवड़ियों का वादा और वेलफेयर स्कीम के बीच अंतर करने की जरूरत है. सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कहा कि मुफ्त की रेवड़ियों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समेत सभी दल एक ही दिख रहे हैं.
मुफ्त और कल्याण के बीच का अंतर समझना होगा-कोर्ट
मुफ्त योजनाओं के मुद्दे पर तथा इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप पर बयान देने के लिए डीएमके और उसके कुछ नेताओं पर नाराजगी जाहिर की. इस पर सीजेआई ने कहा कि ‘इस मुद्दे पर मैं कह सकता हूं कि बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दल एक ही तरफ हैं. सभी मुफ्त सौगात चाहते हैं. इसलिए हमने एक कोशिश की.’ पीठ ने कहा कि इसके पीछे मंशा इस मुद्दे पर व्यापक बहस शुरू कराने की है और इस लिहाज से समिति के गठन का विचार किया गया. बेंच ने कहा, ‘हमें देखना होगा कि मुफ्त चीज क्या है और कल्याण योजना क्या है.’
कौन-कौन पार्टी कर रही है याचिका का विरोध
आम आदमी पार्टी (आप), डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस मुफ्त की रेवड़ियों पर रोक की मांग वाली याचिका का विरोध कर रहे हैं. बता दें कि अदालत वकील अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं प्रदान करने के वादों का विरोध किया गया है.