नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के युवा सांसद राघव चड्ढा को अब 30 अक्टूबर तक का इंतजार करना होगा. दरअसल सांसद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया. अब इस मामले की 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी. दरअसल राघव ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती दी है. अगस्त में चड्ढा को निलंबित किया गया था. जिसके बाद इन्होंने भी राहुल गांधी की तरह ही सोशल मीडिया प्लेटफॉम एक्स पर खुद के बायो में राज्यसभा से निष्कासित सदस्य (suspended-member of parliament) भी कुछ दिनों तक के लिए लिखा था.
इस मामले को लेकर AAP सांसद हुए थे निलंबित
बता दें कि राघव चड्ढा को अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का नाम चयन समिति में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. उन पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था. इसके बाद बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने निलंबन का प्रस्ताव पेश किया था. राज्यसभा ने नियम 72 के तहत राघव को निलंबित कर दिया.
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निलंबन को लेकर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने ये कहा
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत को इसकी जांच करने की जरूरत है कि क्या किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है. क्या किसी सदस्य को निलंबित करने के लिए नियम 256 लागू किया जा सकता है. वकील शादान फरासत ने कहा ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं है. इसे सत्र से परे नहीं किया जा सकता है. इसे सत्र से आगे बढ़ाने के लिए अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है. यह विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है.
अनिश्चित काल के निलंबन को दिया चुनौती
गौरतलब है कि आप सांसद को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है, जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती. उनके निलंबन का प्रस्ताव भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया, जिन्होंने चड्ढा की कार्रवाई को अनैतिक बताया. इसी को लेकर राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अनिश्चित काल तक निलंबन को चुनौती दी है. 30 अक्टूबर को राज्यसभा सचिवालय को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है.