प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी आत्मस्थानानंद जी की शताब्दी के अवसर पर देशवासियों को संबोधित किया..उन्होंने कहा था कि हमारे देश में संन्यास की महान परंपरा रही है.. स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे..
उन्होंने माँ काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था, जिन्होंने माँ काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था.. वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ माँ की चेतना से व्याप्त है..यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है..संन्यास के कई रुप है..संन्यास का अर्थ स्वयं से ऊपर समष्टि के लिए जीना और कार्य करना है..
पीएम मोदी ने कहा कि महान संत परंपरा को स्वामी विवेकांनद ने आधुनिक रुप से ढाला है..स्वामी आत्मस्थानानंद जी ने संन्यास को जिया और चरितार्थ किया..पीएम ने कहा कि हमारे संतों ने हमें बताया कि जब हमारे विचारों में व्यापकता होती है..तो अपने प्रयासों में हम कभी अकेले नहीं पड़ते है..
उन्होंने कहा कि देश का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा हो जहां स्वामी विवेकानंद न गए हों,या उनका प्रभाव न रहा हो, स्वामी विवेकानंद की यात्राओं ने गुलामी के उस दौर में भी देश को उसकी पुरातन राष्ट्रीय चेतना का अहसास करवाया..उसमें नया आत्मविश्वास फूंका..संन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभु सेवा देखना..जीव में शिव को देखना ही सर्वापरि है..
भारत में ऐसे कितने ही संत रहे है जिन्होंने शून्य संसाधनों के साथ शिखर जैसे कठिन संकल्पों को पूरा किया है..सैंकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल के स्वामी विवेकानंद हमारी संत परंपरा हमेशा, श्रेष्ठ भारत का उद्घोष करती रहती है..
पीएम ने कहा कि मां काली का असीमित, असीम आशीर्वाद हमेशा भारत के साथ है। भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर आज विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है..