EPREL Sticker: यूरोपियन यूनियन (EU) ने अपने उपभोक्ताओं को एक नई और अहम सुविधा देने की तैयारी कर ली है। अब 20 जून 2025 से यूरोप में बिकने वाले स्मार्टफोन, टैबलेट और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ पर एक खास स्टिकर लगाया जाएगा जिसे EPREL स्टिकर कहा जाता है। यह स्टिकर ग्राहकों को यह समझने में मदद करेगा कि कौन-सा डिवाइस ज्यादा टिकाऊ और ऊर्जा की बचत करने वाला है।
EPREL स्टिकर क्या बताता है
EPREL का पूरा नाम है European Product Registry for Energy Labelling। इसे आम भाषा में एनर्जी लेबल भी कहा जा सकता है। इस स्टिकर पर डिवाइस से जुड़ी कई जरूरी जानकारियाँ दी जाएंगी, जैसे:
डिवाइस की एनर्जी रेटिंग
बैटरी की लाइफ और उसकी मजबूती
पानी और धूल से बचाव की रेटिंग
गिरने पर डिवाइस कितनी सुरक्षित है
डिवाइस की मरम्मत कितनी आसानी से हो सकती है (Repairability Score)
इस लेबल की मदद से ग्राहक समझ पाएंगे कि कौन-सा फोन या टैबलेट उनके लिए ज्यादा भरोसेमंद और लंबे समय तक चलने वाला है।
किन डिवाइस पर लगेगा ये स्टिकर?
ये नया नियम कुछ खास डिवाइसेज़ पर लागू होगा, जैसे
सभी स्मार्टफोन (चाहे वो सैटेलाइट या मोबाइल नेटवर्क पर चलें)
फीचर फोन जिनमें इंटरनेट या थर्ड पार्टी ऐप्स न हों
7 से 17.4 इंच तक की स्क्रीन वाले टैबलेट
वायरलेस लैंडलाइन फोन
हालांकि, फ्लेक्सिबल डिस्प्ले वाले मोबाइल या टैबलेट अभी इस नियम के दायरे में नहीं हैं।
ये बदलाव क्यों जरूरी है?
यूरोपीय यूनियन का मानना है कि ग्राहक अगर सही जानकारी के आधार पर टिकाऊ और एनर्जी सेविंग डिवाइस खरीदेंगे, तो इससे ना सिर्फ उनकी जेब को फायदा होगा, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा होगी। इसके अलावा ये नियम कंपनियों को भी मजबूर करेगा कि वे पारदर्शी और टिकाऊ प्रोडक्ट बनाएं।
EU के और क्या नियम हैं?
EPREL स्टिकर के साथ ही यूरोपियन यूनियन ने कुछ ईको-डिज़ाइन नियम भी तय किए हैं, जैसे:
बैटरी कम से कम 800 चार्ज-डिस्चार्ज साइकल तक 80% क्षमता बनाए रखे
डिवाइस पानी, धूल, गिरने और खरोंच से सुरक्षित हो
7 साल तक स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा
5 साल तक सॉफ्टवेयर अपडेट मिलने चाहिए
मरम्मत करने वालों को जरूरी टूल और सॉफ्टवेयर की सही पहुंच मिले
इससे क्या फायदा होगा?
EU का कहना है कि इस कदम से साल 2030 तक करीब 14 टेरावाट घंटे ऊर्जा की बचत की जा सकेगी। साथ ही, डिवाइसेज़ को लंबे समय तक इस्तेमाल और सही से रिसाइकल करके कच्चे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
फिलहाल, भारत में इस तरह के स्टिकर या लेबलिंग को लेकर कोई योजना नहीं है, लेकिन भविष्य में ऐसी पारदर्शिता उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद हो सकती है।