Golden Dome : मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अभूतपूर्व सुरक्षा पहल की घोषणा करते हुए ‘गोल्डन डोम’ नामक एक अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम प्रोजेक्ट का एलान किया। अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट पर करीब 175 अरब डॉलर का खर्च आएगा। इस प्रणाली का मकसद अमेरिका को चीन और रूस जैसी महाशक्तियों से संभावित मिसाइल हमलों से सुरक्षित रखना है।
व्हाइट हाउस से संबोधित करते हुए ट्रंप ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का अंतिम डिज़ाइन तय कर लिया गया है और अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल ग्यूटलिन को इसकी अगुवाई सौंपी गई है।
‘रीगन का सपना, अब हमारी हकीकत बनेगा’
ट्रंप ने कहा, “हम ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस शील्ड को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा कर रहे हैं। रोनाल्ड रीगन ने सालों पहले इसकी कल्पना की थी, लेकिन तकनीक सीमित थी। अब हमारे पास वो तकनीक है, और हम इसे दुनिया की सबसे उन्नत सुरक्षा प्रणाली बनाने जा रहे हैं।” उन्होंने यह भी दोहराया कि चुनाव अभियान के दौरान किए गए वादे के अनुरूप, वह अमेरिका को दुश्मन मिसाइलों से सुरक्षित रखने के लिए इस डिफेंस शील्ड को लागू कर रहे हैं।
‘गोल्डन डोम’ करेगा मातृभूमि की रक्षा
ओवल ऑफिस में दिए अपने बयान में ट्रंप ने यह भी कहा कि “गोल्डन डोम अमेरिका की मातृभूमि की ढाल बनेगा।” साथ ही उन्होंने बताया कि कनाडा ने इस सुरक्षा कार्यक्रम में भागीदारी में रुचि दिखाई है, हालांकि कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के कार्यालय ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
यह भी पढ़ें : ISI एजेंट शहज़ाद की बड़ी आतंकी साजिश का पर्दाफाश, यूपी के युवाओं को…
यह डिफेंस सिस्टम इज़राइल के प्रसिद्ध ‘आयरन डोम’ से प्रेरित है, लेकिन तकनीकी रूप से यह उससे कहीं अधिक उन्नत और शक्तिशाली होगा। गोल्डन डोम के तहत सैकड़ों निगरानी और इंटरसेप्टर सैटेलाइट अंतरिक्ष में तैनात किए जाएंगे, जो दुश्मन मिसाइलों का तुरंत पता लगाकर उन्हें हवा में ही नष्ट कर देंगे। ट्रंप ने दावा किया कि इसकी सफलता दर करीब 100% होगी।
2029 तक पूरा करने का लक्ष्य, फंडिंग बनी चुनौती
ट्रंप ने जनवरी में एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत करके इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और अब वे इसे जनवरी 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रख रहे हैं। हालांकि, प्रोजेक्ट की भारी-भरकम लागत और इसमें शामिल निजी कंपनियों की भूमिका को लेकर कई डेमोक्रेट नेताओं ने चिंता जताई है। ख़बर है कि इसमें एलन मस्क की स्पेसएक्स, पालंटिर और एंडुरिल जैसी कंपनियाँ शामिल हो सकती हैं, हालांकि इस पर आधिकारिक पुष्टि बाकी है।