How does ac work and which gas is used गर्मियों में सबसे ज़्यादा अगर किसी चीज़ की जरूरत महसूस होती है तो वो है एयर कंडीशनर (AC)। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये एसी काम कैसे करता है? इसमें कौन-सी गैस होती है जो पूरे कमरे को ठंडा कर देती है? चलिए आपको बताते हैं बेहद आसान और साफ़ भाषा में।
एसी में कौन-सी गैस का होता है इस्तेमाल?
AC के अंदर एक खास तरह की गैस होती है, जिसे रिफ्रिजरेंट गैस (Refrigerant Gas) कहते हैं। यही गैस असली हीरो होती है जो ठंडी हवा देती है। पहले के समय में R-22 (HCFC) नाम की गैस का इस्तेमाल होता था, लेकिन ये गैस पर्यावरण के लिए हानिकारक मानी गई और अब इसका प्रयोग लगभग बंद हो चुका है।
AC में इन गैसों का इस्तेमाल किया जाता है
R-32 (डाइफ्लोरोमीथेन): यह गैस कम हानिकारक है और बिजली की भी कम खपत करती है। यह आजकल के एसी में सबसे ज़्यादा उपयोग में लाई जाती है।
R-410A: यह दो गैसों – R-32 और R-125 – का मिक्स होता है। ये ज्यादा प्रेशर में काम करती है और इसे चलाने के लिए मजबूत कंप्रेसर की जरूरत होती है।
R-290 (प्रोपेन गैस): यह एक नेचुरल गैस है और पर्यावरण के लिए बहुत ही सुरक्षित मानी जाती है। इसमें ग्रीनहाउस गैसों का असर बेहद कम होता है।
एसी कैसे करता है काम?
AC का काम बहुत सोच-समझकर डिजाइन किया गया है। इसमें कई हिस्से होते हैं जो मिलकर ठंडी हवा बनाते हैं:
कंप्रेसर: यह एसी का दिल होता है। यह गैस को दबाकर उसे गर्म कर देता है।
कंडेंसर: यह यूनिट बाहर लगी होती है। यहां गर्म गैस ठंडी होकर लिक्विड में बदल जाती है।
एक्सपेंशन वाल्व: यह गैस को फैलाता है जिससे उसका तापमान और दबाव कम हो जाता है।
इवापोरेटर कॉइल: यह हिस्सा एसी की अंदर की यूनिट में होता है। ठंडी गैस यहां से गुजरती है और कमरे की गर्मी को सोख लेती है। इसके बाद ठंडी हवा कमरे में फैलती है।
पुरानी और नई गैसों में फर्क
पहले इस्तेमाल होने वाली R-22 गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती थी। अब जो गैसें इस्तेमाल हो रही हैं जैसे R-32 और R-290, ये पर्यावरण के लिए ज़्यादा सुरक्षित हैं और बिजली की खपत भी कम करती हैं। इस तरह ये ना सिर्फ ठंडी हवा देती हैं बल्कि प्रकृति का भी ध्यान रखती हैं।