Mumbai Ahmedabad bullet train update:कौन सी नई तकनीक लगाने की हो गई तैयारी जानकर हो जाएंगे खुश

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में सिग्नल सिस्टम का ठेका सीमेंस को मिला। सफर तेज और सुरक्षित होगा। यह योजना भारत में भविष्य की परिवहन क्रांति लाएगी।

Mumbai Ahmedabad Bullet Train Signalling System

Bullet Train Project Advanced Signalling System: नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए अत्याधुनिक सिग्नल और दूरसंचार तकनीक स्थापित करने का ठेका सीमेंस लिमिटेड, सीमेंस मोबिलिटी जीएमबीएच और D R A इन्फ्राकन प्राइवेट लिमिटेड की साझेदारी वाले ग्रुप को दिया है। NHSRCL देश में बुलेट ट्रेन जैसी हाई स्पीड रेल परियोजनाओं की योजना, निर्माण, देखरेख और संचालन का काम संभालती है।

4,100 करोड़ का ठेका,सीमेंस का हिस्सा 1,230 करोड़

सीमेंस लिमिटेड की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 4,100 करोड़ रुपये है, जिसमें से सीमेंस का हिस्सा 1,230 करोड़ रुपये का होगा। यह ठेका सिग्नल और टेलीकॉम सिस्टम तैयार करने, उसकी स्थापना करने और 15 साल तक रखरखाव करने के लिए दिया गया है। इसे पूरा होने में करीब 54 महीने यानी साढ़े चार साल लगेंगे। सीमेंस इंडिया के एमडी और सीईओ सुनील माथुर ने बताया कि इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से जुड़ना “मेक इन इंडिया” और भविष्य की टिकाऊ ट्रांसपोर्ट तकनीकों को बढ़ावा देने का बेहतरीन मौका है।

जापान में शुरू हुआ बुलेट ट्रेन का ट्रायल

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए ट्रेन का परीक्षण पहले से ही जापान में शुरू हो चुका है। जापान भारत को अपनी रणनीतिक साझेदारी के तहत दो हाई-स्पीड ट्रेन सेट (E5 और E3 सीरीज) गिफ्ट करेगा, जिनकी डिलीवरी 2026 की शुरुआत में होगी। ये ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती हैं। भारत लाने के बाद इन ट्रेनों को यहां की जलवायु और भूगोल के अनुसार टेस्ट किया जाएगा। इन ट्रेनों में ऐसी तकनीक है जो ट्रैक की स्थिति, तापमान और धूल के असर की जानकारी रिकॉर्ड कर सकेगी। इन आंकड़ों से भविष्य में “मेक इन इंडिया” के तहत नई E10 सीरीज की बुलेट ट्रेनें बनाई जाएंगी।

कहां-कहां रुकेगी बुलेट ट्रेन?

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें प्रमुख रूप से ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, सूरत और वडोदरा शामिल हैं। यह सफर जो पहले करीब 7 घंटे का होता था, अब सिर्फ 2 घंटे 7 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। यह प्रोजेक्ट जापान की विश्वसनीय रेल तकनीक और सुरक्षा मानकों पर आधारित है। भारत और जापान के बीच 2016 में हुए समझौते के तहत जापान इस प्रोजेक्ट में करीब 80% फंडिंग सस्ती ब्याज दर पर दे रहा है।

क्या-क्या बदल जाएगा इस प्रोजेक्ट से?

यह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट सिर्फ तेज़ यात्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिये देश में रोजगार, तकनीकी प्रशिक्षण, पर्यटन और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे। जब यह परियोजना पूरी होगी, तो भारत में तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद ट्रांसपोर्ट सिस्टम की नई शुरुआत होगी।

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