करीब 8 महीने पहले PM नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे में सुरक्षा चूक हुई थी। इसकी पड़ताल के लिए कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी ने गुरुवार, यानी 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी। इसकी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने पाया कि सुरक्षा चूक के लिए पंजाब पुलिस जिम्मेदार है।
रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब पुलिस के SSP को दो घंटे पहले ही उस रास्ते के बारे में बता दिया गया था, जहां से PM जाने वाले थे। इसके बावजूद पंजाब पुलिस सुरक्षा बंदोबस्त ठीक नहीं कर पाई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने बताया कि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की पुख्ता सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी उपाय भी सुझाए गए हैं, जिसे सरकार को भेजा जाएगा।
ऐसे में सवाल है कि आखिर प्रधानमंत्री की सुरक्षा का प्रोटोकॉल क्या होता है। पीएम मोदी जब कहीं जाते हैं तो किस तरह से उनके रूट को सुरक्षित रखा जाता है और कैसे पीएम की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा किसी भी देश के अन्य प्रमुखों की तरह कड़ी होती है। भारत के प्रधानमंत्री को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की होती है। प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है। ये शूटर एक सेकेंड के अंदर आतंकियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं। इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। एसपीजी के जवानों के पास MNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार हैं।
पुलिस की भी होती है भूमिका
एसपीजी के अलावा पुलिस भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यक्रमों में एसपीजी के मुखिया खुद मौजूद रहते हैं। यदि किसी कारण से मुखिया अनुपस्थित रहता है, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन उच्च पद के किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है। जब प्रधानमंत्री अपने आवास से सभा में शामिल होने के लिए बाहर निकलते हैं तो पूरे मार्ग का एक तरफ का यातायात 10 मिनट के लिए बंद कर दिया जाता है। इस बीच, पुलिस के दो वाहन सायरन बजाकर मार्ग पर गश्त करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जिस मार्ग से प्रधानमंत्री गुजरेंगे वह पूरी तरह से क्लियर हो।
NSG के कमांडो से घिरे होते हैं प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री के काफिले में 2 बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज सेडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स 5 और एक मर्सिडीज बेंज एंबुलेंस के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन मौजूद होते हैं। इनके अलावा, एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले के साथ चलता है। प्रधानमंत्री के काफिले के ठीक आगे और पीछे पुलिस के सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां होती हैं। बाईं और दाईं ओर दो और वाहन होते हैं और बीच में प्रधानमंत्री का बुलेटप्रूफ वाहन होता है। हमलावरों को गुमराह करने के लिए काफिले में प्रधानमंत्री के वाहन के समान दो डमी कारें शामिल होती हैं। जैमर वाहन के ऊपर कई एंटेना होते हैं। ये एंटेना सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम हैं। इन सभी कारों पर NSG के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है। इसका तात्पर्य यह है कि सुरक्षा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के साथ लगभग 100 लोगों का एक दल होता है। जब प्रधानमंत्री चलते हैं, तब भी वे वर्दी के साथ-साथ सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं।
क्या है VIP रूट का प्रोटोकॉल
हमेशा कम से कम दो रूट तय होते हैं
किसी को रूट की पहले जानकारी नहीं होती
अंतिम समय में SPG रूट तय करती है
किसी भी समय SPG रूट बदल सकती है
SPG और स्टेट पुलिस में कॉर्डिनेशन रहता है
स्टेट पुलिस से रूट क्लियरेंस मांगी जाती है
पूरा रूट पहले से क्लियर किया जाता है