Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के दो वरिष्ठ जिला जजों द्वारा दाखिल याचिका का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट कोलेजियम को उनकी पदोन्नति पर पुनर्विचार का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायपालिका की प्रक्रिया में पारदर्शिता और उचित विचार-विमर्श के महत्व को दर्शाता है। कोलेजियम द्वारा उठाए गए कदमों पर संदेह जनित होने के चलते, जजों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने का निर्णय लिया। इस मामले ने न्यायपालिका के भीतर वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
Supreme Court ने 6 सितंबर 2024 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की कोलेजियम को जिला जज चिराग भानु सिंह और अरविंद मल्होत्रा के नामों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के 4 जनवरी 2024 के प्रस्ताव और केंद्रीय कानून मंत्री के 16 जनवरी 2024 के पत्र के अनुसार किया जाना चाहिए, जिसमें इन नामों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया था।
कोलेजियम की प्रक्रिया पर टिप्पणी
Supreme Court ने टिप्पणी की कि हाई कोर्ट की कोलेजियम द्वारा की गई प्रक्रिया में आवश्यक सामूहिक परामर्श और विचार-विमर्श की कमी थी। निर्णय केवल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा व्यक्तिगत रूप से लिया गयाजो न केवल प्रक्रियात्मक रूप से बल्कि विषयगत रूप से भी दोषपूर्ण था।
याचिका की मांग और तर्क
याचिकाकर्ता, जिला जज चिराग भानु सिंह और अरविंद मल्होत्रा, ने सुप्रीम कोर्ट के 4 जनवरी 2024 के प्रस्ताव के अनुसार अपनी पदोन्नति के लिए निर्देश की मांग की। उन्होंने हाई कोर्ट कोलेजियम द्वारा अन्य नामों पर विचार की प्रक्रिया पर रोक लगाने की भी मांग की, जब तक उनकी शिकायत का समाधान नहीं हो जाता।
विवरण और समयसीमा
दिसंबर 2022 में याचिकाकर्ताओं के नामों को उच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए सिफारिश की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 12 जुलाई 2023 को उनकी पदोन्नति पर विचार को स्थगित कर दिया। 4 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने याचिकाकर्ताओं के नामों को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास पुनर्विचार के लिए भेजा। 16 जनवरी 2024 को केंद्रीय कानून मंत्री ने इन नामों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
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अगले कदम
13 मई 2024 को Supreme Court ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया, जिसमें पूछा गया कि क्या हाई कोर्ट कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार याचिकाकर्ताओं के नामों पर पुनर्विचार किया है। रजिस्ट्रार जनरल ने 15 जुलाई को रिपोर्ट प्रस्तुत की। 6 अगस्त को सभी पक्षों की सुनवाई के बाद, पीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने केरल के दो जिला जजों की याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने केरल हाई कोर्ट की कोलेजियम द्वारा उनके नामों पर विचार न करने के खिलाफ आपत्ति जताई थी।