पढ़ाई का स्तर देखते हुए सरकारी विद्यालयों पर अक्सर सवाल उठते हैं जबकि सरकार इन स्कूलों के लिए पानी की तरह पैसा बहाती है जिससे कि गरीब व ग्रामीण बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल सके। लेकिन जिनके कंधों पर ये जिम्मेदारी दी गई है उनके गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते सरकार की मंशा पूरी नही होती दिखाई देती है। लेकिन इस बीच रायबरेली के गदागंज विकासखंड के गाँव अंबारा मतई में संचालित विद्यालय ने आशा जरूर जगाई है। बता दें कि इस विद्यालय के शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की धारणा बदल दी है। विद्यालय में साफ-सफाई से लेकर खेल-खेल में पढ़ाई बच्चों को काबिल बना रही है। शैक्षिक स्तर काफी बेहतर है। विद्यालय में स्मार्ट क्लास, आनलाइन क्लास की सुविधा देखकर लगता है यह विद्यालय किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है।
समय बदलने के साथ शिक्षा में सुधार
दरअसल अंबार मताई में संचालित विद्यालय में पूर्व में अव्यवस्था के चलते अभिभावकों का मोह भी सरकारी विद्यालयों के प्रति कम होता चला गया। विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या काफी कम हो गई थी, लेकिन समय बदलने के साथ शिक्षा का स्तर सुधरा है।
प्रधानाध्यापक समेत कुल सात शिक्षक और एक शिक्षामित्र यहां पढ़ाते हैं। अब कान्वेंट स्कूल छोड़कर अमीरों के बच्चों ने भी यहां दाखिल लेना शुरू कर दिया है। इस विद्यालय में शिक्षक अनुराग मिश्र की तैनाती वर्ष 2016 में हुई। उस दौरान विद्यालय में छात्रों की संख्या लगभग 126 ही थी। उन्होंने बच्चों को स्कूल लाने का प्रयास तेज किया। शुरुआत में परेशानी हुई, लेकिन बाद में बच्चे स्कूल पहुंचने लगे। वर्तमान मे यहां 567 बच्चे पंजीकृत हैं। उन्होंने शैक्षिक कार्य के साथ विद्यालय के कायाकल्प पर भी विशेष ध्यान दिया।
झूलों से लेकर स्मार्ट क्लास तक की सुविधाएं
अनुराग मिश्रा ने बताया कि मैंने 2012 तक सेना में कार्य किया है उसके बाद मैं शिक्षक बना और विद्यालय के सभी बच्चों को एक सैनिक स्कूल की तरह ही शिक्षा प्रदान की जा रही है विद्यालय कॉन्वेंट विद्यालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। विद्यालय परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं झूलों से लेकर खेलकूद के सामान तक की व्यवस्था की। इतना ही नहीं टीवी लगाकर स्मार्ट क्लास से बच्चों की पढ़ाई शुरू कराई। स्कूल में ब्लैक बोर्ड की जगह व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से पढ़ाई हो रही है। कोरोना काल में बच्चों को आनलाइन पढ़ाई कराई गई। खेल खेल में शिक्षा, पैरेंट्स मीटिंग भी होती है विद्यालय में बच्चों को स्कूल में टाइमटेबल बनाकर शिक्षक पढ़ाई करा रहे हैं। बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा, 30 दिन बाद बच्चों के मानसिक लेवल की जांच करते हुए, उसमें पिछड़े बच्चों को उपचारात्मक शिक्षा दी जाती है। पैरेंट्स मीटिंग भी की जाती है। निजी विद्यालय छोड़कर आ रहे बच्चे विद्यालय में पढ़ाई के स्तर बेहतर होते ही अब कान्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चे यहां पढ़ाई करने आ रहे हैं। इनमें समृद्ध किसान, व्यापारियों के बच्चे भी शामिल हैं।
प्राइवेट स्कूलों के बच्चों ने लिया इस सरकारी स्कूल में दाखिला
वहीं बच्चों ने भी कहा कि विद्यालय में पढ़ाई बहुत अच्छी होती है। बिना यूनिफार्म के बच्चों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। सभी बच्चे समय से स्कूल पहुंचते हैं। हमारे खेलने के लिए झूले कैरम बोर्ड व अन्य सामान भी मौजूद है। स्कूल के समय में खेलने का मौका भी दिया जाता है।एलईडी के माध्यम से भी पढ़ाई कराई जाती है। हाल में सभी बच्चों को एक साथ बैठाकर टीचर पढ़ाई करा रहे हैं। छात्रास्कूल में पढ़ाई निजी स्कूलों से भी अच्छी होती है। इसीलिए प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी इस स्कूल में आ रहे हैं। सभी टीचर अच्छे से समझाते हैं। शिक्षक विद्यालय को बेहतर सुविधाओं से युक्त बनाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। स्कूल समय में कोई शिक्षक कक्षा से बाहर नहीं मिलेगा। इसके लिए टाइम टेबल बना रखा है। कमजोर बच्चों के लिए अलग से समय देकर उसे पढ़ाया जाता है। बच्चों की पढ़ाई का स्तर उठाने के लिए अभिभावकों से भी संपर्क बनाए रखा जाता है।