यूपी के जनपद सोनभद्र के आवासीय कस्तूरबा विद्यालय से बेहद घिनौना मामला सामने आया है। जहां छात्राओं से पैर मसाज और टॉयलेट साफ कराया जाता है। छात्राओं ने 2 शिक्षकों द्वारा पैर मसाज और टॉयलेट साफ करने का आरोप लगाया हैं। आरोप के अलावा एक दर्जन बच्चे शिक्षकों की इस हरकत से परेशान होकर विद्यालय छोड़ कर घर लौट चुके हैं। मामला प्रकाश में आने पर हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में शिक्षा विभाग मामले की जांच करा रहा है।
शिक्षा विभाग के BSA ने बिठाई जांच
वहीं मामला जनपद सोनभद्र के नगवा ब्लॉक अंतर्गत नंदना गांव में स्थित कस्तूरबा विद्यालय का बताया जा रहा है। जहां पर विद्यालय में कार्यरत 2 महिला शिक्षकों द्वारा 7 और 8 कक्षा के छात्राओं से पैर मसाज और शौचालय साफ करवाने का मामला प्रकाश में लाया गया है।
छात्राओं का कहना है कि आए दिन विद्यालय की 2 शिक्षिकाएं बच्चों से पैर मसाज और शौचालय साफ करने के लिए कहती थी ऐसा न करने पर धमकाती और विद्यालय से बाहर करने की धमकी देती थी। जिस वजह से कक्षा 6 और 7 के लगभग एक दर्जन छात्राएं अपने घर लौट गई और अपने परिजनों को वहां की स्थिति बतायी। बच्चों संग ब्लॉक पहुंचे परिजनों ने बीडियो और ब्लॉक प्रमुख से शिकायत की है। तत्पश्चात इन लोगों द्वारा शिक्षा विभाग को सूचित किया गया है। जहां आनन-फानन में शिक्षा विभाग के बीएसए ने जांच बैठाई।
खाना न देने की धमकी देती थीं शिक्षिका
इसी बीच बच्चों का कहना है कि आवासीय विद्यालय कस्तूरबा में 2 शिक्षिकाएं हमेशा पैर दबाने के लिए कहती थी और शौचालय साफ करने के लिए धमकाती थी। ऐसा न करने पर विद्यालय से बाहर करने और खाना न देने की बात भी कही थी।
वहीं बच्चों के परिजन का कहना है कि वह अपने बच्चों को कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में पढ़ने के लिए भेजती है। लेकिन वहां शिक्षकों द्वारा ऐसी हरकत करने पर वह अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजेंगे। जिसकी शिकायत वीडियो और ब्लॉक प्रमुख से की थी।
सभी आरोप निराधार है-BSA
वहीं खबर से संबंधित जब बीएसए से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विद्यालय में रसोईया ने बच्चों को बहला फुसलाकर यह कहलवाया था। रसोइयां के कार्य प्रणाली को लेकर शिकायत मिली थी जिसकी कार्यवाही प्रचलित है। ऐसे में रसोइयां ने बच्चों को आगे कर छोटे-मोटे आरोप लगावाये थे। बाद में हमारे तीन एबीएसए द्वारा जांच की गई और यह आरोप निराधार निकले वहां पर ऐसी कोई बात नहीं है।
बड़ी बात यह है कि अगर जब रसोईया के कहने पर एक दर्जन बच्चे दो टीचरों पर यह गंभीर आरोप लगा रहे हैं। जिसको एक बीएसए सिरे से नकार रहे हैं। फिर बच्चे अपने घर क्यों लौट गए जबकि आज 1 हफ्ते के बाद भी बच्चे अभी तक स्कूल नहीं पहुंचे। बहरहाल शिक्षा विभाग के आला अधिकारी अपना तर्क रख रहे हैं। लेकिन बच्चें और परिजन इस पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।