लोकसभा चुनाव के एक साल पहले होने जा रहे उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के प्रति राष्ट्रीय राजनीति के नजरिए से उत्सुकता साफ नजर आ रही है.. राजनीतिक गलियारों में 13 मई का बेसब्री से इंतजार है.. क्योंकि इसी दिन निकाय चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। निकाय चुनाव हर राजनीतिक दल के लिए बहुत अहम मानी जा रही है.. चाहे भाजपा, सपा, बसपा हो या फिर कांग्रेस.. हर राजनीतिक दल अपने-अपने ढंग से इस चुनाव में बढ़त बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है.. ऐसे में बसपा ने अपनी अलग रणनीति बना ली है।
बसपा की रणनीति
दरअसल.. बसपा मुस्लिम उम्मीदवारों को अधिक टिकट देकर.. एक बार फिर दलित-मुस्लिम का समीकरण बनाकर बाजी मारने की फिराक में चल रही है.. मायावती ने मेयर के लिए घोषित 10 में से छह मुस्लिम व तीन अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतार कर अपने पत्ते खोल दिए हैं… कहा जा रहा है कि बसपा पिछले विधानसभा और उससे पहले लोकसभा चुनाव में अपने घटे जनाधार से काफी चिंतित चल रही है.. इसी वजह से एक बार फिर उसने अपने रणनीति बदल दी है। मायवती का मास्टर प्लान है की वह दलितों और मुसलमानों को एकसाथ लाएंगी ..
मायावती का दांव
बसपा ने दस में से 6 मुस्लिम महापौर उम्मीदवार उतारकर यह तो साफ कर दिया है कि उसका फोकस मुस्लिम और दलित गठजोड़ की तरफ बहुत ज्यादा है.. मायावती के इस दांव के बाद मुकाबला काफी तगड़ा होने वाला है। पिछले चुनाव के समीकरण में नजर डाले तो आगरा, झांसी और सहारनपुर में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी.. एक बार मुस्लिम ने सपा के साथ रहकर देख लिया है.. जिससे उन्हें कुछ भी फायदा नहीं हुआ.. इसलिए वो जानते हैं कि बसपा में उनका भविष्य सुरक्षित है…
ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि मायावती की ये रणनीति उनके पक्ष में होगी.. वो जीत के बेहद करीब है.. हालांकि बीजेपी के साथ उनका तगड़ा मुकाबला है.. दूसरे दलों को पटखनी देने के लिए शुरू से ही अलग रणनीति अपना रखी है.. बीजेपी ने सबसे अंत में नामांकन की सूची जारी कर समीकरणों को दुरुस्त रखने का पूरा प्रयास किया है..
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