Gorakhpur : 1801 में अवध के नवाब ने ईस्ट इंडिया कंपनी को इस क्षेत्र के हस्तांतरण से आधुनिक काल को चिह्नित किया था. इस के साथ, गोरखपुर को एक ‘जिलाधिकारी’ दिया गया था. पहला कलेक्टर श्री रूटलेज था. 1829 में, गोरखपुर को इसी नाम के एक डिवीजन का मुख्यालय बनाया गया था, जिसमें गोरखपुर, गाजीपुर और आज़मगढ़ के जिले शामिल थे.
उत्तर प्रदेश में जब-जब बदमाशों का नाम लिया जाता है तो उसमें श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम सबसे ऊपर आता है. 25 साल के इस युवा बदमाश का खौफ इतना ज्यादा था कि प्रशासन को इससे निपटने के लिए एसटीएफ का गठन करना पड़ा.
श्री प्रकाश शुक्ला का जन्म गोरखपुर जिले के ममखोर गांव में हुआ था. वो शहर जिसका नाम रखा गया था गोरखनाथ पीठ पर, वो शहर जो वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि है. श्रीप्रकाश शुक्ला के पिता एक स्कूल में शिक्षक थे। श्रीप्रकाश ने पहली बार 1993 में बहन के साथ बत्त्मीज़ी करने वाले शख्स को बीच बाजार में गोली मारी थी। इस कांड के बाद वह बैंकॉक भाग गया और वहां से वापस आने पर उसने बिहार के सूरजभान गैंग को ज्वाइंन कर लिया. श्री प्रकाश शुक्ल अपराधी और माफ़िया बन चुका था. उसे राजनेता अपने विरोधियों को सुपारी देकर समाप्त करने के लिए काम में लेते थे.
आपको बता दे की श्री प्रकाश शुक्ला ने 1997 में बाहुबली राजनेता वीरेंद्र शाही को लखनऊ में दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के बाद से यूपी में श्रीप्रकाश शुक्ला का आतंक कायम हो गया. इसके बाद उसने 13 जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल के बाहर बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को उनके सुरक्षाकर्मियों के सामने ही फिल्मी अंदाज में गोलियों से भून दिया था. उसने इस घटना में एके-47 राइफल का इस्तेमाल किया था. देश का यह पहला बदमाश जिसने हत्या के लिए एके-47 राइफल का प्रयोग किया था.
आपको बता दे की श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन CM कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली थी. जिसके तुरंत बाद यूपी एसटीएफ(UPSTF) का गठन हुआ। एसटीएफ का पहला टास्क था -आतंक बन चुका श्रीप्रकाश शुक्ला का खात्मा. 22 सितम्बर 1998 को लगभग 25 वर्ष की आयु में ग़ाज़ियाबाद में उसको पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया. श्रीप्रकाश की मौत के बाद उसका खौफ भले ही खत्म हो गया था लेकिन जयराम की दुनिया में उसके आज भी चर्चे होते हैं.