अलीगढ़ ऑनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलीगढ़ (Aligarh) मुस्लिम विश्वविद्यालय के मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में साल 1967 में ’अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य’ मामले में दिए अपने ही फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई संस्थान कानून के तहत बना है तो भी वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 के बहुमत से यह आदेश दिया। अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं, इसका फैसला नियमित पीठ करेगी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, साल 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अलीगढ़ (Aligarh) मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना था। तब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की और इसे सात जजों की पीठ के पास भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चली। दोनों तरफ से दलीलें पेश की गई और इस मामले पर सुनवाई पूरी कर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने बीती 1 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को कोर्ट ने 1967 के फैसले को पलट दिया। जिसके कारण एमएयू के अंदर जश्म का माहौल है। स्टूडेंट्स से लेकर प्रोफेसर खुशी का इजहार करते हुए पाए गए।
1920 में मिला था अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दर्जा
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है। इसका इतिहास 1875 से शुरू होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटिश राज में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर एएमयू (Aligarh) भारत का पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। 1875 में, सर सैयद ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा देने की जरूरत को समझते हुए मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की। उस समय निजी विश्वविद्यालयों की अनुमति नहीं थी, इसलिए इसे स्कूल के रूप में शुरू किया गया। बाद में, इसे मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में बदल दिया गया और फिर 1920 में इसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।
कौन थे सर सैयद अहमद
सर सैयद अहमद (Aligarh) का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। अरबी, फारसी, उर्दू में दीनी तालीम के बाद ज्यूडिशियल सर्विसेज में चले गए। दिल्ली, आगरा में नौकरी करने के बाद 1864 में मुंसिफ के रूप में अलीगढ़ में तैनात हुए। सर सैयद को 1857 की क्रांति ने झकझोर दिया था। इस गदर में उनके मामू व मामूजाद भाई अंग्रेजों के हाथों मारे गए। सर सैयद ने तभी ईस्ट इंडिया कंपनी को ज्वॉइन किया। अंग्रेजों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए आधुनिक शिक्षा को हथियार बनाया। 1869-70 में अलीगढ़ में सब कुछ बेचकर लंदन चले गए। वहां ऑक्सफोर्ड व कैंब्रिज का दौरा किया।
74 एकड़ जमीन पर एएमयू की रखी गई थी नींव
लंदन से सर सयद भारत आ गए और उन्होंने एक मरसा की शुरुआत की। आठ जनवरी 1877 को 74 एकड़ फौजी छावनी की जमीन (जहां एएमयू का एसएस हॉल है) पर मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की नींव रखी गई। समारोह में उस समय के वायसराय लार्ड लिटिन व बनारस के नरेश शंभू नारायण भी शामिल हुए। अलीगढ़ की नुमाइश में चंदा जुटाने के लिए वह खुद घुंघरू पहनकर नाचे थे। सर सयद चंदा पाने के लिए लैला भी बने। राजा-महाराजाओं के दर पर जाकर नाचे। उनका सपना था कि शिक्षा ही एक ऐसा अस्त्र है, जिससे हम अंग्रेजों को आसानी से हरा देंगे।
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एएमयू के पहले टीचर्स
एक जनवरी 1875 को मोलवी समीउल्लाह के बेटा हमीद उल्लाह को पहला छात्र बनने का मौका मिला। एचजीआई सिडन्स को मदरसा का हेड मास्टर नियुक्त किया गया। बेजनाथ द्वितीय हेडमास्टर बने। जबकि मोलवी अबुल हसन, मोलाना मोहम्मद अकबर, सैयद जफर अली, मोलवी नजफ अली और मोलवी अब्दुल रज्जाक को शिक्षक नियुक्त किया गया। 12 नवंबर 1875 को उत्तर प्रदेश सरकार के लेफ्टीनेंट गवर्नर सर विलियम्स म्योर ने मदरसा का दौरा किया। उनके बाद पटियाला के महाराजा मोहिंदर सिहं ने दौरा कर आर्थिक मदद का एलान किया था।
घुड़सवारी से लेकर चांद की कर रहे बात
सर सैयद ने जिस वक्त शिक्षा का उजियारा फैलाने की ठानी, अधिकांश मुस्लिम लड़कियों को घर से निकलने की आजादी नहीं थी। एएमयू में एक क्लास में पर्दे की आड़ में लड़कियां पढ़ती थीं। आज एएमयू की छात्राएं घुड़सवारी से लेकर चांद से बात कर रही हैं। यहां से बीटेक करने वाली खुशबू मिर्जा चंद्रयान व चंद्रयान-2 टीम का हिस्सा रह चुकी हैं। एएमयू में आज 37 हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत से यहां आते हैं। यहां 13 फैकल्टी, 21 सेंटर और 117 विभाग हैं. छात्रों और कर्मचारियों के लिए 80 छात्रावास सहित 19 हॉल भी हैं।
प्रौद्योगिकी और इस्लामिक अध्ययन
एएमयू (Aligarh) में तकनीकी, व्यावसायिक और अनुसंधान के कई विशेष पाठ्यक्रम हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, जैव प्रौद्योगिकी और इस्लामिक अध्ययन जैसे प्रमुख कॉलेज और विभाग शामिल हैं। विश्वविद्यालय खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय है, जहां क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और घुड़सवारी के लिए विशेष क्लब मौजूद हैं। यहां ड्रामा, संगीत और साहित्यिक क्लबों का भी आयोजन किया जाता है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एएमयू की इमारत मुस्कराई। स्टूडेंट्स से लेकर प्रोफेसर ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।