Baghpat news: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पुलिस महकमे की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि थाने के इंस्पेक्टर दीक्षित त्यागी ने अपनी गाड़ी से 35 वर्षीय मजदूर आश मोहम्मद को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। चश्मदीदों, सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयानों के बावजूद पुलिस ने एफआईआर में इंस्पेक्टर का नाम दर्ज नहीं किया। परिवार का आरोप है कि Baghpat पुलिस जानबूझकर आरोपी को बचा रही है और पीड़ितों पर समझौते का दबाव बनाया जा रहा है। मृतक के परिजनों ने न्याय की गुहार लगाई है और आरोपी इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
हादसे की दर्दनाक रात
11 जुलाई की शाम 35 वर्षीय आश मोहम्मद, जो टाइल्स और पत्थर का काम करके परिवार चलाता था, अपने साथी अमर को मितली गांव छोड़ने जा रहा था। इसी दौरान मेरठ रोड पर तेज रफ्तार क्रेटा कार ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी। आरोप है कि कार थाने के इंस्पेक्टर दीक्षित त्यागी चला रहे थे। टक्कर इतनी भीषण थी कि आश मोहम्मद गाड़ी के नीचे फंस गया। चश्मदीदों का कहना है कि इंस्पेक्टर ने गाड़ी आगे-पीछे करके निकालने की कोशिश की, जिससे मजदूर की हालत और बिगड़ गई। घायल आश मोहम्मद तड़पता रहा, जबकि इंस्पेक्टर कार से उतरकर पास से गुजरती एक बाइक पर बैठकर मौके से फरार हो गए।
CCTV फुटेज ने खोला राज
घटना के समय मृतक का भाई शादाब भी पीछे आ रहा था, जिसने स्पष्ट रूप से इंस्पेक्टर की पहचान की। परिवार ने बालैनी टोल प्लाजा का सीसीटीवी फुटेज भी अधिकारियों को सौंपा, जिसमें दीक्षित त्यागी को कार चलाते हुए साफ देखा जा सकता है। बावजूद इसके, पुलिस ने एफआईआर में इंस्पेक्टर का नाम दर्ज नहीं किया और मामले को एक अन्य व्यक्ति मुस्तकीम पर डाल दिया। इससे परिवार में आक्रोश फैल गया है।
समझौते का दबाव और अधिकारियों की चुप्पी
मृतक का भाई सद्दाम और बहन राशिदा का आरोप है किBaghpat थाने में बुलाकर उन्हें बार-बार समझौते का दबाव बनाया गया। धमकी दी गई कि अगर केस की पैरवी की तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वकील जाकिर हुसैन का कहना है कि पर्याप्त सबूतों के बावजूद इंस्पेक्टर के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज नहीं किया जा रहा। उन्होंने बताया कि अब अदालत के माध्यम से केस आगे बढ़ाया जाएगा।
परिवार की मांग और कानूनी स्थिति
आश मोहम्मद के परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब है। उसकी मौत से चार बेटे और एक बेटी अनाथ हो गए हैं। परिवार ने कहा है कि उन्हें केवल मुआवजा नहीं चाहिए, बल्कि आरोपी इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में पुलिस ने बीएनएस की धारा 281, 125B और 106 के तहत केस दर्ज किया है, लेकिन आरोपी का नाम शामिल न होने से पूरे Baghpat पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।