Bareilly court: एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जिसमें बरेली की अदालत ने पत्नी की हत्या के मामले में सख्त सजा सुनाई। इस मामले में अदालत ने महिला के बच्चों की गवाही पर उसके पति को 10 साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया, जब महिला वंदना ने पति के उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली। Bareilly अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और समाज में उनके स्थान पर गंभीर सवाल उठाए।
मामले की शुरुआत और आरोपी की गिरफ्तारी
वंदना, जो कि एक शिक्षित महिला थीं, बरेली के संजय नगर इलाके में अपने पति विकास उपाध्याय और दो बच्चों के साथ रहती थीं। उनके पति विकास शराब के आदी थे और आए दिन पत्नी के साथ मारपीट करते थे। 29-30 नवंबर 2023 की रात को उत्पीड़न से तंग आकर वंदना ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद वंदना की मां ने आरोपी पति और उनके परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और मारपीट की शिकायत दर्ज कराई। Bareilly पुलिस ने मामले की जांच की और आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया।
बच्चों की गवाही और सजा
वंदना के बेटे आयुष्मान और बेटी रितिका ने अदालत में अपने पिता के खिलाफ गवाही दी, जिससे अदालत को आरोपी की दोषिता साबित करने में मदद मिली। अपर सत्र न्यायाधीश ने इस गवाही को महत्वपूर्ण मानते हुए विकास उपाध्याय को दोषी ठहराया और उसे 10 साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
जज की टिप्पणी
इस फैसले के दौरान जज रवि कुमार दिवाकर ने महिलाओं के अधिकारों पर एक गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “भारतवर्ष में महिला को देवी का दर्जा तो दिया जाता है, लेकिन उसे उसका अधिकार नहीं मिलता। यदि महिला को देवी का दर्जा दिया जाता, तो क्या वह शराब पीकर और गाली-गलौज करते हुए मारपीट होती?” जज ने यह भी कहा कि वंदना एक शिक्षित महिला थीं, जिन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचा और फिर भी आत्महत्या कर ली। अदालत ने यह संदेश दिया कि जीवन अनमोल है और किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या की सोच नहीं आनी चाहिए।
यह फैसला समाज के लिए एक कड़ा संदेश है कि महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।