3831 करोड़ की लागत, फिर भी दरारें?
जेपी गंगा पथ को कंगन घाट से दीदारगंज तक जोड़ने के लिए बनाया गया है। यह परियोजना राजधानी पटना की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने और शहर को नया ट्रैफिक कॉरिडोर देने की दृष्टि से अहम मानी जा रही थी। उद्घाटन के दिन सीएम नीतीश कुमार के साथ दोनों उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, पथ निर्माण मंत्री और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
मगर उद्घाटन के चंद दिन बाद ही पुल के पिलर नंबर A-3 के पास सड़क में जो दरारें नजर आई हैं, वे इस दावे को कमजोर करती हैं कि पुल पूरी तरह सुरक्षित और स्थायी है। ब्रिज की दोनों लेनों में आई दरारों से आमजन के मन में डर और सरकार की नियत पर शक पैदा हो रहा है।
निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल
विशेषज्ञों और आम जनता का मानना है कि इतनी जल्दी दरारें आना निर्माण की गुणवत्ता में कमी और निगरानी की कमजोरी को दर्शाता है। कई लोगों का कहना है कि चुनावी साल होने के कारण सरकार ने जल्दबाजी में अधूरे निर्माण को उद्घाटन योग्य घोषित कर दिया।
तेज आंधी और बारिश के बावजूद मुख्यमंत्री का उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचना और फिर उसी Patna पुल पर दरारें आना यह संकेत देता है कि सेफ्टी और तकनीकी परीक्षणों को या तो नजरअंदाज किया गया या अधूरा छोड़ दिया गया।
बिहार में निर्माण कार्यों पर भरोसे का संकट
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब बिहार में पुलों को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो। पिछले वर्षों में कई निर्माणाधीन पुल गिरने, सड़कों के धंसने और समय से पहले टूटने की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में जेपी गंगा पथ Patna की दरारें एक और चेतावनी हैं कि सरकार को अब जवाबदेही और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में गंभीर कदम उठाने होंगे।