लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। छांगुर ने यूपी के बलरामपुर और अयोध्या जनपद को इस्लामिक स्टेट बनाने का सपना देखा था। जिहादी ने इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए मुस्लिम युवकों की फौज खड़ी कर दी थी। गैंग की खजांचीलाल थी नसरीन, जिसका असली नाम नीतू हैं। धर्मान्तरण गैंग के सरगना ने नीतू को मुस्लिम बनाया और मुम्बई से लेकर अपने गांव पहुंचा। फिर यहीं से शुरू हुआ हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम बनाने का खेल। शातिर ने हर जाति के तय किए रेट। सामान्य जाति की युवतियों को 18 लाख, ओबीसी की लड़कियों को 15 लाख और दलित समाज से आने वाली महिलाओं को देता था 12 लाख रूपए। धर्मान्तरण का धंधे को बढ़ाने के लिए सरगना ने पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी से मिलाया हाथ और मुस्लिम देशों से ली करोड़ों की रकम। पैसा आया तो जिहादी ने पैर पसारे। पुलिस से बचने के लिए खादीधारियों से दोस्ती बनाई। धर्म परिवर्तन करने वाली युवती मुंह ने खोले, इसके लिए बलरामपुर के विलेन ने मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद से दोस्ती कर ली। चकिया के अतीकवा का चुनाव प्रचार भी किया। मुस्लिम टोलों में चौपाल सजाई और गजवा-ए-हिन्द का सपना दिखाया।
यूपी का बलरामपुर जिला बीतेकई दिनों से सुर्खियों में है। यहीं का रहने वाला छांगुर एटीएस के हत्थे चढ़ गया है। छांगुर की लेडी खजांची नसरीन और उसका पति भी पुलिस की गिरफ्त में है। एटीएस और यूपी एसटीएफ की टीमें तीनों से पूछताछ कर रही हैं। पूछताछ में छांगुर ने कई राज उगले हैं। छांगुर ने पुलिस को बताया है कि वह बलरामपुर और अयोध्या जनपद में इस्लामिक स्टेट की जड़ों को मजबूत कर रहा था। छांगुर 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के मिशन में काम कर रहा था। छांगुर ने धर्मान्तर की दुकान नेपाल तक में खोल रखी भी। पुलिस की जांच में सामने आया है कि छांगुर एंड बदमाश कंपनी ने करीब पांच हजार से ज्यादा युवतियों का धर्म परिवर्तन करवाया। छांगुर ने मुस्लिम युवकों के नाम बदलवाए और हिन्दू लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसवाया। औरैया की एक लड़की को फतेहपुर के मुस्लिम युवक ने हिन्दू बनकर फंसाया और फिर मस्जिद में ले जाकर धर्म परिवर्तन करवाया। औरैया की युवती खुद मीडिया के सामने आकर छांगुर गैंग के खौफनाक साजिश का खुलासा किया।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि छांगुर की दोस्ती मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद से भी थी। इसकी तस्दीक इस बात से होती है कि वह 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रावस्ती सीट पर अतीक के लिए प्रचार करने गया था। उसने कई जनसभाओं में माफिया के साथ मंच साझा किया था। बताया जा रहा है कि श्रावस्ती के मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटरों को प्रभावित करने के लिए छांगुर ने अतीक अहमद के खातिर वोट मांग रहा था। इसका खूलासा श्रावस्ती सीट से बीजेपी के कैंडीडेट रहे दद्दन मिश्रा ने किया। दद्दन मिश्रा ने बताया कि 2014 के चुनाव में अतीक समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती सीट से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी की सीधी टक्कर थी। दद्दन मिश्रा ने बताया कि छांगुर का जोर यहां पर नहीं चला और उन्होंने अतीक को हराकर चुनाव जीता। दद्दन मिश्रा ने कहा कि बलरामपुर से सामने आई धर्मांतरण जैसी घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। छांगुर बाबा जैसे लोग पूर्व सरकारों के राजनीतिक संरक्षण में फले-फूले हैं। सभी जानते हैं ऐसे लोगों को विपक्षी सरकारों का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। लेकिन अब बीजेपी की सरकार में ऐसे लोगों पर कार्रवाई हो रही है, शिकंजा कसा जा रहा है।
दद्दन मिश्रा ने कहा कि अब जरूरत है कि जांच एजेंसियां छांगुर बाबा जैसे लोगों को संरक्षण देने वाले राजनीतिक दल, नेताओं और अफसरों की भी जांच करें, जिनके साये में रहकर ये ऐसा पाप करता आ रहा है। औरैया की युवती ने बताया कि छांगुर की गैंग में हजारों मुस्लिम युवक हैं। पाकिस्तान से लेकर साउदीअरब में भी गैंग के अड्डे हैं। एक और युवती ने बताया कि छांगूर भारत में गजवा-ए-हिन्द की बात करता था। उसका सपना था कि 2047 तक भारत मुस्लिम राष्ट्र बने। छांगुर की दोस्ती आईएसआई से भी थी। सूत्र बताते हैं कि छांगुर ने अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और गुड्डू मुस्लिम की भी मदद की थी। सूत्र बताते हैं कि छांगुर अतीक की चकिया वाली कोठी में अक्सर आता था और शाइस्ता उसके रहने खाने की व्यवस्था करती थी। छांगुर खुद को धर्मान्तर का ओसामा बिन लादेन कहता था। जब उमेश पाल की हत्या हुई, तब अतीक के गुर्गों ने छांगुर से संपर्क किया था। सूत्र बताते हैं कि शाइस्ता ने छांगुर से मदद मांगी थी। सूत्र बताते हैं कि छांगुर ने अतीक एंड फैमिली की मदद भी की थी। हालांकि पुलिस ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की
ये तो हुई जिहादी छांगुर की खतरानक करतूत। अब हम आपको छांगुर के बारे में बताते हैं। छांगुर कैसे बना धर्मान्तरण का झींगुर। किस तरह से जेहादी झींगुर ने उछल-कूद कर हिन्दू लड़कियों को बनाया मुस्लिम। कहां से छांगुर को मिली मनी। छांगुर की कहानी की शुरूआत बलरामपुर जिले के बाद माफी गांव से होती है। उसका जन्म यहीं पर हुआ था। छांगुर के चार भाई हैं, जिसमें तीन अब भी गांव ही रहते हैं। छांगुर बचपन में भीख मांगता था। अब भी उसके तीनों भाई भीख ही मांगकर अपना जीवन चलाते हैं। छांगुर बाद में साइकिल से घूम-घूमकर नग और अंगुठी बेचा करता था। वर्षों तक इस काम को करते रहने के बाद छांगुर मुंबई चला बया और खुद को पीर घोषित कर दिया। उसके बाद उसने गरीबों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का काम शुरू किया। जिस काम में उसे विदेशी फंडिंग भी होने लगी। उसने देखते-देखते करोड़ों रुपये की काली संपत्ति बना ली। एटीएस ने 5 जुलाई को जलालुद्दीन और नसरीन को बलरामपुर में माधपुर गांव से गिरफ्तार किया था। जलालुद्दीन उर्फ छांगुर और उसके सहयोगियों के अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। छांगुर की कोठी करीब एक एकड़ भूभाग में बनी थी, जिसे सरकारी बुलडोजर ने मिट्टी में मिला दिया।