UP News : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है, लेकिन कुछ अधिकारी और कर्मचारी लगातार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते दिखाई दे रहे हैं। कासगंज जिले के विकास खंड क्षेत्र गंजडुंडवारा के गांव सिकंदरपुर ढाव में लघु सिंचाई विभाग द्वारा 35 लाख रुपये की लागत से बनाए गए तालाब में भ्रष्टाचार, गबन और अन्य गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शिकायत के बाद जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसने अपनी जांच रिपोर्ट में अनियमितताएं पाई हैं। अब जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की तलवार लटक रही है।
तालाब निर्माण पर लगा गंभीर आरोप
गांव सिकंदरपुर ढाव में लघु सिंचाई विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 35 लाख रुपये से तालाब का निर्माण कराया गया था। शिकायतकर्ता का आरोप था कि तालाब निर्माण के लिए चिह्नित जगह मानक के विपरीत थी और तालाब खुद कहीं नहीं था। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि अवर अभियंता उमेश कुमार ने अपने रिश्तेदारों को ठेका देकर तालाब का निर्माण बिना किए ही विभागीय मिलीभगत से भुगतान कर लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव लघु सिंचाई और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी इस मामले में शिकायत की गई थी।
तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट
जांच के लिए प्रमुख सचिव लघु सिंचाई, लखनऊ द्वारा अधीक्षण अभियंता मेरठ को निर्देश दिए गए थे। इसके बाद, अधीक्षण अभियंता द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई हापुड के नेतृत्व में जांच की गई। जनवरी माह में टीम ने मौके पर जाकर जांच की, लेकिन तालाब स्थल के आसपास पानी भरा होने के कारण वे वहां तक नहीं पहुंच सके। फिर भी, जांच टीम ने मौके के पास रहने वाले ग्रामीणों से जानकारी जुटाई और शिकायत के बिंदुओं पर जांच की।
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जांच रिपोर्ट में तालाब निर्माण स्थल के चयन में अनियमितताओं की पुष्टि की गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जिस स्थल पर तालाब का निर्माण किया गया था, वहां गंगा नदी का जल स्तर ऊपर था, जिससे वहां तालाब का निर्माण अप्रासंगिक था। इसके अलावा, शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए गबन के आरोपों की पुष्टि करने के लिए भौतिक सत्यापन में असमर्थता जताई गई, क्योंकि चारों ओर गंगा का पानी भरा हुआ था।
कार्यवाही की लटकी तलवार
तालाब निर्माण के दायित्वों के निर्वहन के लिए विभागीय दिशा निर्देशों के अनुसार, सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता का जिम्मा था। वर्तमान में तैनात अधिशासी अभियंता अभिराम वर्मा और सहायक अभियंता मुकीम अहमद पर तालाब स्थल के चयन की जिम्मेदारी थी, लेकिन जांच में उनके द्वारा इस चयन में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं।
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रिपोर्ट में पहली दृष्टि से यह साफ हो गया है कि उक्त स्थल पर तालाब निर्माण की आवश्यकता नहीं थी, फिर भी निर्माण करा लिया गया। अब यह सवाल उठता है कि इन अधिकारियों ने मानक के विपरीत गंगा की तलहटी में तालाब का निर्माण कैसे स्वीकृत कर दिया। मामले में अंतिम परिणाम के बाद ही कार्यवाही का फैसला होगा, लेकिन जांच रिपोर्ट के बाद इन अधिकारियों पर कार्यवाही की संभावना बनी हुई है।