गांव में पसरा मातम, सुबह की नमाज के बाद चौंकाने वाला फैसला
देवरिया जिले के गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में रहने वाले इस्म मोहम्मद ने Bakrid की सुबह की नमाज अदा करने के बाद एक झोपड़ी में जाकर खुद की गर्दन चाकू से काट दी। यह वही चाकू था जो आमतौर पर पशु कुर्बानी के लिए इस्तेमाल होता है। करीब एक घंटे तक वे गंभीर हालत में कराहते रहे। परिजन जब मौके पर पहुंचे तो वे खून से लथपथ पड़े थे। आनन-फानन में उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सुसाइड नोट में भावनात्मक विचार: “बकरियां भी जीवित प्राणी हैं”
इस्म मोहम्मद द्वारा छोड़ा गया सुसाइड नोट न केवल उनके इस फैसले की वजह को उजागर करता है, बल्कि उनके भीतर चल रही भावनात्मक उथल-पुथल की गवाही भी देता है। उन्होंने लिखा कि बकरियों को पालने वाला इंसान उन्हें अपने बच्चे की तरह मानता है, और उन्हें कुर्बान करना गलत है। इसलिए उन्होंने खुद को अल्लाह के नाम पर समर्पित करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने परिवार और प्रशासन से अपील की कि उनकी कब्र उसी स्थान पर बनाई जाए जहां कुर्बानी का खूंटा बंधा था। साथ ही यह भी लिखा, “किसी ने मेरा कत्ल नहीं किया है।”
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, धार्मिक संदर्भ में उलझा मामला
गौरी बाजार थाना प्रभारी विनोद कुमार यादव के अनुसार, घटनास्थल से चाकू और सुसाइड नोट बरामद कर लिया गया है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की पुष्टि हुई है। पुलिस ने किसी साजिश की आशंका से इनकार किया है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह मामला बेहद संवेदनशील है क्योंकि इस्लाम में मनुष्य की आत्म-कुर्बानी की कोई मान्यता नहीं है। यह एक असाधारण और व्यक्तिगत व्याख्या मानी जा रही है, जो शायद मानसिक या दार्शनिक द्वंद्व का परिणाम थी।
सोशल मीडिया पर बहस, धार्मिक परंपरा और मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा
इस्म मोहम्मद की ‘अंतिम कुर्बानी’ की खबर वायरल होते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई यूज़र्स ने इसे ‘अल्लाह के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी’ बताया। कुछ लोगों ने इसे धार्मिक परंपराओं पर सवाल उठाने वाला साहसी कदम माना, वहीं अन्य ने इसे एक मानसिक संकट की अभिव्यक्ति कहा। बकरीद जैसे पवित्र पर्व पर इस तरह की घटना ने धार्मिक सहिष्णुता, पशु अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। Bakrid पर इस्म मोहम्मद का यह असाधारण और त्रासद निर्णय धार्मिक आस्था, मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-अभिव्यक्ति जैसे विषयों को समेटे हुए है। पुलिस इसे आत्महत्या मान रही है, लेकिन समाज इसे ‘एक असामान्य कुर्बानी’ के रूप में देख रहा है। यह मामला आने वाले समय में धार्मिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन सकता है।