लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। नाम प्रशांत कुमार। पद यूपी पुलिस के डीजीपी। काम अपराध और अपराधियों का खात्मा। सपना एक ही देखा, अपना यूपी 24 घंटे 365 दिन मुस्कराता रहे। जो भी मिशन मिला, उसे 100 फीसदी पूरा किया। जब कानपुर के विकास दुबे ने 8 पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया, तब जांबाज आईपीएस प्रशांत कुमार भी रोए और प्रतिज्ञा ली की विकास दुबे एंड कंपनी का खात्मा करने के बाद भी अपने आवास पर जाऊंगा। यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार की प्रतिज्ञा सफल हुई। विकास दुबे और उसके गुर्गे यमलोक पहुंचा दिए गए। फिर क्या था ये सिलसिला चल पड़ा। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस ‘हनुमान’ ने यूपी में अपराधी और माफियाओं की ऐसी लंका जलाई की अब सूबे के विलेन अपराध करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ का ये ‘अचूक ब्रम्हास्त्र’ रविवार को यूपी पुलिस की नौकरी से रिटायर हो गया। 35 साल तक वर्दी पहनकर जनता की सेवा करने वाले प्रशांत कुमार की बहादुरी के किस्से अब लोग किताबों में पढ़ेंगे।
हां 300 सौ से ज्यादा अपराधियों को ठोकने वाले आईपीएस प्रशांत कुमार ने रविवार की देरशाम पुलिस की नौकरी को अलविदा कह दिया। केंद्र सरकार से सेवा विस्तार नहीं मिलने पर रौबदार मूंछ वाला आईपीएस ‘सिंघम’ 31 मई 2025 को रिटायर हो गया। ऐसे में अब नए डीजीपी के नाम को लेकर 24 कालीदास मार्ग से लेकर दिल्ली तक सियासत गर्म है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी एक्शन में हैं और यूपी के नए डीजीपी को लेकर मंथन कर रही । जानकारों का कहना है कि राज्य सरकार को जल्द ही नया डीजीपी नियुक्त करना होगा। यह पद बेहद अहम है, क्योंकि प्रदेश की कानून व्यवस्था, पुलिसिंग की दिशा, और शासन की छवि काफी हद तक डीजीपी के दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने यूपी के नए डीजीपी के नाम का ऐलान कर दिया। अब सूबे की पुलिस के नए चीफ आईपीएस राजीव कृष्णा होंगे।
राज्य में नए डीजीपी की रेस में कई अनुभवी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल थे। सभी की अलग-अलग विशेषज्ञता और प्रशासनिक पृष्ठभूमि है, जो उन्हें इस अहम पद के लिए उपयुक्त बनाती थी। लेकिन योगी सरकार ने यूपी 1991 बैच के आईपीएस राजीव कृष्ण को सूबे का नया डीजीपी बना दिया। राजीव कृष्ण यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। वह यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष हैं। राजीव कृष्ण वर्ष 1991 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। राजीव कृष्ण की चर्चा आगरा में वर्ष 2004 में बतौर एसएसपी तैनाती को लेकर खूब होती है। आगरा एसएसपी के तौर पर उन्होंने अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था। बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोहों के खिलाफ राजीव कृष्ण ने प्रभावी कार्रवाई की थी।
राजीव कृष्ण यूपी की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं। उनका जन्म 20 जून 1969 को हुआ था। उन्होंने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए। यूपीएससी की ओर से 1991 में उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। आईपीएस के रूप में उनका सेलेक्शन हुआ। राजीव कृष्णा को हाईटेक पुलिसिंग के लिए जाना जाता है। एडीजी रहते हुए उन्होंने आपरेशन पहचान एप के माध्यम से अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाया। महिला बीट, एंटी रोमियो स्क्वाड की ऑनलाइन मॉनिटरिंग का सिस्टम को भी इस साफ्टवेयर में रखा। ई-मालखाने से मुकदमों का ऑनलाइन रिकॉर्ड तक उनके अलग सोच का परिणाम रही है। साइबर अपराध के क्षेत्र में भी राजीव कृष्ण ने बड़ा अभियान चलाया। उनके स्तर पर पुलिस को प्रशिक्षित करने से लेकर लोगों को भी जागरूकता का अभियान चलाया।
बता दें, यूपी डीजीपी की रेस में दूसरा नाम आईपीएस दलजीत सिंह चौधरी का भी चल रहा था। आईपीएस दलजीत सिंह चौधरी वर्तमान में बीएसएफ की डीजी है और इनकी सेवा अवधि 6 महिने से अधिक की थी। दलजीत सिंह चौधरी का केंद्र सरकार में लम्बे समय तक सेवा के साथ अर्धसैनिक बलों का अनुभव है। इन्हें रणनीतिक प्लानिंग, हाई-लेवल सिक्योरिटी मैनेजमेंट में महारत हासिल है। दलजीत सिंह चौधरी यूपी के पहले आईपीएस अफसर हैं, जिन्होंने चंबल, बीहड़ और पाठा के जंगलों से डकैतों का सफाया किया। दलजीत सिंह चौधरी को गृहमंत्री अमित शाह का करीबी बताया जा रहा है। इस बीच 1990 बैच के आईपीएस दलजीत चौधरी ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की है। अब इस मुलाकात के बाद ऐसी चर्चा थी कि चौधरी यूपी के डीजीपी बन सकते हैं। लेकिन सरकार ने राजीव कृष्णा के नाम पर मुहर लगाई।