Dharmendra Yadav: धर्मेंद्र यादव, जो समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता रहे हैं, ने हाल ही में अपने बहनोई से रिश्ते तोड़ने का फैसला किया है। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण राजनीतिक मतभेद और भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हें करहल सीट से टिकट देना है। धर्मेंद्र का यह कदम न सिर्फ उनके व्यक्तिगत रिश्तों पर असर डाल रहा है, बल्कि राजनीतिक जगत में भी हलचल मचा रहा है। यादव परिवार के राजनीतिक प्रभुत्व वाले क्षेत्र में उनका बीजेपी में जाना एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। अब सवाल यह है कि क्या धर्मेंद्र बीजेपी के यादव वोट बैंक को अपनी ओर खींच पाएंगे, या उनका यह निर्णय उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाएगा?
राजनीतिक मतभेद बने रिश्ते टूटने की वजह
Dharmendra Yadav और उनके बहनोई के बीच राजनीतिक मतभेद लंबे समय से चल रहे थे। यादव, जो अब तक समाजवादी पार्टी से जुड़े थे, ने हाल ही में बीजेपी में शामिल होकर करहल सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। करहल यादव परिवार के राजनीतिक प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है, और यहां धर्मेंद्र के बहनोई का भी प्रभाव था। लेकिन बीजेपी के टिकट के ऐलान के बाद, दोनों के रिश्ते में दरारें गहराती गईं। धर्मेंद्र ने एक चिट्ठी जारी कर यह स्पष्ट किया कि उन्हें अब अपने राजनीतिक करियर को प्राथमिकता देनी होगी और इसी वजह से उन्हें अपने पारिवारिक संबंधों को पीछे छोड़ना पड़ा।
चिट्ठी में खुलासा
Dharmendra Yadav ने अपने रिश्ते की समाप्ति की जानकारी एक चिट्ठी के जरिए दी। इस चिट्ठी में उन्होंने अपने बहनोई के प्रति अपनी भावनाओं को साझा किया और यह कहा कि राजनीति और व्यक्तिगत संबंधों को अलग रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक निर्णय का मकसद पार्टी और अपने करियर को प्राथमिकता देना है। धर्मेंद्र ने इस चिट्ठी में यह भी लिखा कि उन्हें अपने परिवार के हितों से ऊपर उठकर पार्टी के प्रति वफादारी दिखानी होगी।
यादव वोट बैंक पर असर
करहल क्षेत्र में यादव परिवार का गहरा प्रभाव है। अब धर्मेंद्र का बीजेपी में जाना इस प्रभाव को चुनौती दे सकता है। बीजेपी ने धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाकर एक नया समीकरण तैयार किया है, जिसमें वह यादव वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है। धर्मेंद्र को इस क्षेत्र में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा क्योंकि समाजवादी पार्टी पहले से यहां मजबूत है और यादव वोटर्स की बड़ी संख्या उस पार्टी के साथ रही है।
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परिवार की प्रतिक्रिया
यादव परिवार ने धर्मेंद्र के इस निर्णय पर निराशा जताई है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह राजनीति का हिस्सा है। परिवार के अन्य सदस्यों ने कहा कि धर्मेंद्र का यह निर्णय उनके लिए व्यक्तिगत रूप से कठिन हो सकता है, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से यह एक आवश्यक कदम था।
आगे
Dharmendra Yadav को अब करहल में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में खुद को साबित करना होगा। यह उनके लिए राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। अगर वह यादव वोटर्स को बीजेपी की तरफ खींचने में सफल होते हैं, तो यह बीजेपी के लिए एक बड़ी जीत साबित हो सकती है।