Fatehpur dispute: फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद मकबरे को लेकर छिड़ा विवाद अब राजनीतिक टकराव में बदल गया है। मकबरे को ठाकुर जी का मंदिर बताने के आह्वान पर सोमवार को सैकड़ों लोग जुटे, नारेबाजी हुई, भगवा ध्वज लहराया गया और हनुमान चालीसा का पाठ भी हुआ। इस दौरान मकबरे में तोड़फोड़ की कोशिश हुई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। विवाद के बाद सोशल मीडिया पर बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वह पुलिस अधीक्षक से कह रहे हैं—”ये मुलायम सरकार नहीं है, हिम्मत है तो गोली चलवाकर देखिए।” वहीं, बवाल में शामिल पाए जाने पर सपा नेता पप्पू सिंह चौहान को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।
बीजेपी जिलाध्यक्ष का विवादित बयान
Fatehpur के मकबरा विवाद के बीच बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वे सफेद कुर्ता-पायजामा पहने पुलिस अधीक्षक से फोन पर तीखे लहजे में कहते हैं—”ये मुलायम सिंह यादव की सरकार नहीं है कि आप गोली चलवा दोगे। आपमें अगर हिम्मत है तो गोली चलवाकर देखिए।” वीडियो में वह यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने पहले ही एसपी को कार्रवाई के लिए कहा था और शिकायत डीएम से भी की है। हालांकि, दर्ज एफआईआर में उनका नाम शामिल नहीं किया गया है।
सपा नेता पर कार्रवाई
इस Fatehpur बवाल में समाजवादी पार्टी से जुड़े नेता पप्पू सिंह चौहान का नाम भी सामने आया है। पुलिस की एफआईआर में उनका नाम दर्ज है, जिसके बाद सपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। सपा का आरोप है कि बीजेपी और हिंदू संगठनों के नेतृत्व में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की गई।
विवाद की पृष्ठभूमि
बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों का दावा है कि मकबरे की जगह पहले ठाकुर जी का मंदिर था, जिसे तोड़कर नवाब अब्दुल समद मकबरा बनाया गया। इसी दावे के बाद सैकड़ों की भीड़ मकबरे पर पहुंची, भगवा ध्वज फहराया और हनुमान चालीसा का पाठ किया। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए लाठियां फटकार कर भीड़ को हटाया, लेकिन पांच घंटे तक तनाव बना रहा।
एफआईआर और जांच
Fatehpur पुलिस ने इस मामले में 10 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इनमें बीजेपी, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और सपा से जुड़े कई लोग शामिल हैं। हालांकि, मुखलाल पाल और हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी के नाम एफआईआर में दर्ज नहीं हैं। प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच जारी है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।