Ghazipur BJP worker Death: गाजीपुर के नोनहरा थाना क्षेत्र में पुलिस की बर्बरता ने एक बार फिर प्रशासन की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 9 सितंबर की रात बीजेपी कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे, तभी पुलिस ने थाने की बिजली बंद कर दी और लाठीचार्ज कर दिया। सियाराम, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग थे, मौके पर भाग नहीं पाए और पुलिस की बेरहमी का शिकार हो गए। उन्हें गंभीर हालत में घर ले जाया गया, लेकिन गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई। परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि यह घटना प्रशासन की ठोस लापरवाही और अफसरशाही की निंदनीय भूमिका का परिणाम है।
ग़ाज़ीपुर जिले के नोनहरा थाना की पुलिस देखिए भाजपा कार्यकर्ताओं पर कितनी बर्बरता से लाठीचार्ज कर रही है!
इस लाठीचार्ज में भाजपा कार्यकर्ता सीताराम उपाध्याय घायल हो जाते हैं और आज उनकी मौत हो जाती है!
इस निर्दोष ब्यक्ति की मौत का जिम्मेदार कौन होगा?
योगी जी की पुलिस बिल्कुल… pic.twitter.com/TPK6w3i5u3
— Anand Upadhyay (@AnandUp7272) September 11, 2025
पुलिस की निर्दयता और अफसरशाही की भूमिका
स्थानीय लोगों और बीजेपी कार्यकर्ताओं के अनुसार, पुलिस ने रात के अंधेरे का फायदा उठाकर धरना दे रहे कार्यकर्ताओं पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया। सियाराम को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, जो अपने शरीर की मजबूरी के कारण भाग नहीं पाए। यह घटना प्रशासन की असंवेदनशीलता और अफसरशाही के दबाव में पुलिस की मनमानी कार्रवाई का स्पष्ट उदाहरण है। वायरल हुए वीडियो में पुलिस कर्मियों को निर्दयता से प्रदर्शनकारियों पर लाठी बरसाते देखा जा सकता है, जो पूरे इलाके में आक्रोश का कारण बन गया।
परिवार और ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
मृतक के पिता गिरिजा शंकर ने कहा, “मेरा बेटा दिव्यांग था और पुलिस ने उसे बेरहमी से मारा। हम न्याय चाहते हैं। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।” मृतक की मां भागीरथी देवी ने कहा, “पुलिस ने मेरे बेटे की हत्या कर दी। हमारी कोई सुनवाई नहीं होती।” भाभी सुनीता ने भी अफसरशाही की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस ने कोई रहम नहीं दिखाया।
सियाराम की मौत के बाद रुकुंदीपुर गांव में तनाव बढ़ गया है। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने, मृतक परिवार को मुआवजा देने और प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि यह मामला विधानसभा और राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा और अफसरशाही की इस शर्मनाक भूमिका को बेनकाब किया जाएगा।