Gorakhpur and Unnao police selection success उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में रहने वाले तीन भाइयों ने उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल की है। उनकी इस उपलब्धि से न सिर्फ उनका परिवार, बल्कि पूरा गांव खुशी से झूम उठा है। इन तीनों के पिता पीएसी के जवान हैं, जबकि दादा भारतीय सेना में रह चुके हैं। धीरज, नीरज और अमन ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने पिता और दादा को दिया है। उनका कहना है कि बचपन से ही घर में अनुशासन था, जिसने उन्हें यह मुकाम हासिल करने में मदद की।
अनुशासन से मिली सफलता
गोरखपुर के झंगहा के दुबियारी डाडी टोला के मोतीराम अड्डा में रहने वाले राजकिशोर पाल के तीन बेटों ने इस सफलता को पाया है। उनके पिता पीएसी में थे और बाबा विश्वनाथ पाल सेना में थे। इसी वजह से घर में अनुशासन बेहद जरूरी था। कब सोना है, कब उठना है, कितना समय व्यायाम करना है।यह सब तय था। इसी अनुशासन का पालन करते हुए तीनों भाइयों ने पुलिस भर्ती की तैयारी की और सफलता हासिल की।
घर में है सैन्य परंपरा
इन तीनों के चाचा लालमन का कहना है कि उनके पिता विश्वनाथ पाल सेना में थे, इसलिए पूरे परिवार में अनुशासन का माहौल था। यही कारण है कि परिवार के अधिकतर लोग सेना या पुलिस में जाने की कोशिश करते हैं। राजकिशोर पाल पहले ही पीएसी में भर्ती हो चुके हैं और 30वीं बटालियन में तैनात हैं। तीनों भाइयों को भी अपने पिता और दादा के अनुशासन और आदर्शों ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
चौथा भाई अलग क्षेत्र में आगे बढ़ रहा
धीरज और अमन बताते हैं कि वे चार भाई हैं। तीनों भाई सेना में जाने की तैयारी कर रहे थे, जबकि चौथे भाई ने अलग क्षेत्र चुना है। परिवार ने उसे उसकी पसंद के करियर में जाने की पूरी आज़ादी दी। किसी ने कोई दबाव नहीं डाला, बल्कि सभी ने उसका समर्थन किया।
उन्नाव की तीन बहनों ने मेहनत से पाया मुकाम
पिता का सपना पूरा कर बनीं पुलिस कांस्टेबल
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की तीन बहनों ने भी यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में सफलता पाई है। उन्होंने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे इलाके का नाम रोशन कर दिया। संघर्ष और कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य तक पहुंच गईं। कल्पना, अर्चना और सुलोचना की यह कहानी आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
पिता की मौत के बाद बढ़ी जिम्मेदारी
हसनगंज तहसील के सुंदरपुर गांव की रहने वाली ये तीनों बहनें बेहद कठिन हालात से गुजरीं। उनके पिता रविंद्र कुमार होमगार्ड थे, जो परिवार के खर्च और बच्चों की पढ़ाई के लिए पूरी मेहनत करते थे। 2017 में बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई, जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सारी जिम्मेदारी उनकी मां राजकुमारी और तीनों बहनों पर आ गई।
बड़ी बहन ने घर संभाला, बाकी ने पढ़ाई जारी रखी
पिता की मौत के बाद बड़ी बेटी कल्पना ने 2018 में नौकरी कर ली, जिससे घर का खर्च चलने लगा। तीनों बहनों ने पुलिस में भर्ती होने का सपना देखा और दिन-रात मेहनत की। कल्पना दिन में काम करती और रात में पढ़ाई करती थी, वहीं अर्चना और सुलोचना घर के कामों के साथ पढ़ाई भी करती थीं।
तीनों बहनों का एक साथ चयन
योगी सरकार द्वारा पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें तीनों बहनों ने आवेदन किया था। उन्हें उम्मीद थी कि कम से कम एक बहन का चयन तो हो ही जाएगा। लेकिन जब परीक्षा का रिजल्ट आया, तो तीनों पास हो गईं। यह पूरे परिवार के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
पिता का सपना हुआ पूरा
मां राजकुमारी का कहना है कि उनके पति का सपना था कि उनकी बेटियां पुलिस में जाएं। उनकी बेटियों ने यह सपना पूरा कर दिखाया। यह याद कर वह भावुक हो जाती हैं। कल्पना बताती हैं कि पिता की मौत के बाद उन्होंने नौकरी की, जिससे घर चल सका। इसके बाद वे उन्नाव आ गईं और किराए के मकान में रहने लगीं।
कड़ी मेहनत से मिली सफलता
अर्चना और सुलोचना बताती हैं कि उन्होंने इंटरमीडिएट के बाद उन्नाव आकर पढ़ाई शुरू की। बड़ी बहन ने उनका पूरा मार्गदर्शन किया। वे सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक लाइब्रेरी में पढ़ाई करती थीं। मां और बहन का समर्थन न होता, तो शायद यह सपना अधूरा ही रह जाता।