अमित मणि त्रिपाठी, देवरिया। स्वस्थ व्यक्ति में ही स्वस्थ विचार पैदा होते हैं, और स्वस्थ विचार ही देश को प्रगति के रास्ते पर अग्रसर करते हैं। जिसको लेकर उत्तरप्रदेश की सरकार कटिबद्ध है । और इसी कड़ी में व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य के लिए अस्पतालों को हाईटेक किया गया है। पर सरकार की स्वस्थ मंशा को उसके ही अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगाते नजर आ रहे हैं । ऐसे ही तस्वीर है यूपी के देवरिया जनपद की जहां अस्पताल सभी संसाधनों से लैस है। जहां इलाज की सभी सुविधाएं सरकार ने प्रदान की है। पर यहां डॉक्टर और कर्मचारियों की मनमानी ऐसी है कि आम जनता सरकार के कामों का लाभ नहीं उठा पा रही है। और लोगों का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है
रियलिटी चेक में खुली बीमार अस्पताल की पोल
बात भटनी में बनाए गए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की कर रहे हैं, जहाँ का नजारा देखकर आप दंग रह जाएंगे। सरकार ने यहां पर क्या कुछ नहीं दिया कि गरीबों की सेवा की जाए लेकिन यहां पर लापरवाह कर्मचारी और डॉक्टरों की वजह से सारी की सारी सुविधाएं ठप पड़ी हैं। जब न्यूज़1इंडिया की टीम तीस बेड के इस सरकारी अस्पताल पर पहुंची तो यहां अधिकांश डॉक्टर और कर्मचारी नदारद थे, जबकि फाइलों में यह आधा दर्जन से अधिक डाक्टर तैनात हैं। सभी कमरों में डॉक्टरों की कुर्सी खाली मिली। ले दे कर एक संविदा कर्मचारी मिला जिसके भरोसे पूरा अस्पताल संचालित हो रहा है।
सारे इंतजाम मौजूद लेकिन चलाने वाला कोई नहीं
यहां एक्स-रे रूम भी है, लेकिन उसमें ताला जड़ा है । यहाँ वार्म मशीन है जिसमें नवजात बच्चे रखे जाते हैं, वह धूल फांक रही है और कूड़े की तरह फेंका गया है यहाँ ओटी टेबल है, उसे भी किनारे लगा दिया गया है। यहां के शौचालय की गंदगी देखकर अब दंग रह जाएंगे सरकार स्वच्छ भारत के लिए अभियान चला रही है। पैसे खर्च करती है लेकिन यहां पर सिंक के पाइप टूटे पड़े हैं गंदगी से शौचालय भरे हैं । वॉशरूम में घुसना तो दूर उधर देखना भी मुश्किल है। कुर्सी लगाई गई है धूप सेकने के लिए लेकिन इसका भी प्रयोग कहां होगा जब यहां पर डॉक्टर रहेंगे ही नहीं । इस 30 बेड वाले अस्पताल को सरकार ने बहुत सुविधा दी लेकिन यहां के लापरवाह और बेपरवाह डॉक्टर कर्मचारियों ने कौड़ी के मोल बनाकर छोड़ दिया है।
न्यूज वन इंडिया की पड़ताल में हैरान करने वाले नजारे दिखे
डॉक्टर से मरीज अपना मर्ज क्या बताएंगे जब डॉक्टर उपलब्ध नहीं है, और वार्म मशीन, ओटी टेबल इसका का क्या मतलब है, जब डॉक्टर रहेंगे तभी तो यह काम आएंगे। अस्पताल के प्रसूता केंद्र की तरफ जब हमारी टीम पहुंची तो हमें स्टाफ नर्स मिली, जब हमने पूछा कि यहां कितने डॉक्टर है तो स्टाफ नर्स बताया कि दो महिला डाक्टर तैनात है, हमने पूछा वह कब आएंगे तो स्टाफ नर्स बताया आते ही होंगे। वही न्यूज़1इंडिया ने वहां के स्थानीय और मरीज के तिमारदारों से बात की इन लोगों ने बताया कि यहां केवल एक डॉक्टर जो संविदा पर कार्यरत है, वही यहां लोगों का इलाज करते हैं।। बाकी डॉक्टर हफ्ते में एक दिन आते हैं और इलाज के लिए इन्हें दर-दर भटकना पड़ता है।
सीएमओ ने दिया रटा रटाया जवाब और आश्वासन
इस पूरे मामले को लेकर जब हम जनपद के सीएमओ के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि आपके द्वारा पूरा प्रकरण बताया है, जिसकी जानकारी हुई है । पूरे मामले की जांच की जा रही है और रिपोर्ट आते हैं सख्त कार्रवाई की जाएगी।