Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश का पालन नहीं करने पर जौनपुर के जिलाधिकारी (डीएम) दिनेश चंद्र पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायालय ने कहा है कि डीएम को यह जुर्माना राशि दोषी अधिकारियों के वेतन से वसूल करने का अधिकार है। इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया है कि यह राशि 18 दिसंबर से पहले रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा कराई जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की पीठ ने याची सुरेंद्र की याचिका पर दिया है।
जौनपुर के दीपकपुर ग्राम सभा, थाना सुजानगंज के निवासी याची ने ग्राम प्रधान के खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दर्ज कराई थी। याचिका में आरोप था कि प्रधान ने गांव में विकास कार्य किए बिना ही पैसे पास करा लिए। जब इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो हाईकोर्ट में उनके खिलाफ याचिका दायर की गई। जिसके बाद कोर्ट ने उनकी शिकायत पर डीएम से जवाब तलब किया था।
जिलाधिकारी नहीं कर रहे आदेश का पालन
याची के वकील श्याम शंकर मिश्रा ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि न्यायालय के 23 अक्टूबर 2024 के आदेश का पालन जिलाधिकारी नहीं कर रहे हैं। न्यायालय ने 18 नवंबर को आदेश पालन के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था। वहीं, मंगलवार को स्थायी वकील ने आदेश पालन के लिए और समय देने की अपील की। न्यायालय ने आदेश के पालन में कोई उचित कारण न देने पर असंतोष व्यक्त किया। इसके बाद न्यायालय ने आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया और जिलाधिकारी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
हुआ 10 हजार का जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए बार-बार अतिरिक्त समय मांगने और कोई उचित कारण न देने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए एक सप्ताह का और समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने सुरेंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि 23 अक्टूबर को स्थायी अधिवक्ता को याची की शिकायत पर दिए गए आदेश को अभिलेख पर लाने का निर्देश दिया गया था।
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18 नवंबर को उस आदेश को पूरा करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया था। मंगलवार को स्थायी अधिवक्ता ने फिर से आदेश पालन के लिए अतिरिक्त समय की मांग की, लेकिन 23 अक्टूबर के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ, इसका कोई उचित कारण नहीं बताया गया। इसलिए न्यायहित में स्थायी अधिवक्ता को आदेश का पालन करने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया गया, बशर्ते कि इसे 10 हजार रुपये की लागत पर पूरा किया जाए।