Imran Masood: सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के खिलाफ कोर्ट ने ‘बोटी-बोटी’ बयान मामले में आरोप तय कर दिए हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिए गए विवादित बयान पर मसूद पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं और जनप्रतिनिधि कानून के तहत आरोप तय हुए हैं। अगर अदालत में Imran Masood दोषी करार दिए जाते हैं, तो उन्हें 5 से 7 साल की सजा हो सकती है। इससे उनकी संसद सदस्यता भी जा सकती है। कोर्ट में अब ट्रायल शुरू होगा और जल्द ही इस पर फैसला आ सकता है। इस मामले में मसूद ने माफी मांगी थी, लेकिन कानूनी कार्यवाही जारी रही।
2014 के बयान ने खड़ा किया था राजनीतिक बवाल
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान Imran Masood ने एक जनसभा में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिया था। यह बयान देवबंद के गांव लबकरी में आयोजित एक सभा के दौरान दिया गया था, जहां मसूद ने कहा था, “अगर नरेंद्र मोदी सहारनपुर आएंगे तो उनकी बोटी-बोटी कर दी जाएगी।” इस बयान का वीडियो वायरल हुआ और देशभर में इस पर विवाद शुरू हो गया था। इसके बाद मसूद के खिलाफ सहारनपुर के देवबंद थाने में मामला दर्ज हुआ।
सहारनपुर, यूपी के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद पर कोर्ट ने आरोप तय किए। अब कोर्ट में ट्रायल चलेगा।
10 साल पहले वायरल वीडियो में मसूद ने कहा था- 'गुजरात में 4% मुसलमान हैं और सहारनपुर में 42% हैं। यहां बोटी–बोटी काट देंगे'
जिन धाराओं में चार्ज फ्रेम हुए हैं, उसमें 5 से 7 साल तक की… pic.twitter.com/1B5Kl7JPTi
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) October 23, 2024
Imran Masood ने इस बयान में सहारनपुर की मुस्लिम आबादी का भी जिक्र करते हुए इसे गुजरात के साथ तुलना की थी। साथ ही, उन्होंने बसपा के दो विधायकों के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसमें एक दलित विधायक को लेकर विवादित बयान दिया गया था। इस मामले में मसूद के खिलाफ धारा 295 A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने), जनप्रतिनिधि कानून की धारा 125 (चुनाव के दौरान समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना), और एससी/एसटी कानून की धारा 310 (दलित समुदाय के खिलाफ अपमानजनक बयान) के तहत केस दर्ज किया गया था।
अदालत में चार्ज फ्रेम, फैसला जल्द
अब कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है और मसूद पर आरोप तय हो चुके हैं। स्पेशल MP-MLA कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा 19 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिनमें चार पुलिसकर्मी भी गवाह के रूप में शामिल थे। अभियोजन पक्ष का दावा है कि मसूद का बयान नफरत और हिंसा फैलाने वाला था, जिसने चुनावी माहौल को खराब किया था।
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विशेष न्यायाधीश मोहित शर्मा की अदालत में अब आगे की सुनवाई होगी, जहां अभियोजन पक्ष के सबूतों के आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर मसूद दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें 5 से 7 साल की सजा हो सकती है, जिसके कारण उन्हें अपनी संसद सदस्यता भी गंवानी पड़ सकती है। इस मामले में अदालत का फैसला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें धार्मिक और जातीय भावनाओं पर आधारित बयानबाजी का मुद्दा है, जो चुनाव के दौरान नफरत फैलाने का बड़ा आरोप है।