कानपुर। भारत में अनेक ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं, जहां हरदिन हजारों भक्त पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित घाटमपुर तहसील क्षेत्र के बुजुर्ग गांव में जगन्नाथ मंदिर है, जो हरवर्ष मौसम की सटीक जानकारी देता है। मंदिर के गुंबद पर एक पत्थर है, जिसमें अपने आप पानी की बूंद रिसने लगती है। ज्यादा बूंदे आने पर बारिश अधिक होती है। अगर पानी कम मात्रा में आया तो समझो देश को सूखे का दंश झेलना पड़ेगा। फिलहाल 2025 में गुंबद पर लगे पत्थर से बूंदें इस वर्ष काफी ज्यादा गिरी हैं। इससे अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।
भगवान जगन्नाथ का मंदिर
भगवान जगन्नाथ मंदिर कानपुर से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेहटा गांव में है। यह मंदिर देखने में कुछ अलग ही लगता है। यह मंदिर उड़ीसा शैली के जगन्नाथ मंदिर से भिन्न है। यह बाहर से बौद्ध स्तूप जैसा दिखाई देता है। भगवान जगन्नाथ की मुख्य प्रतिमा और शिल्पकला नागर शैली की हैं। इसलिए माना जाता है कि करीब 11वीं या 12वीं सदी में बना ये मंदिर ध्वस्त हो गया होगा। किसी स्थानीय जमींदार ने इसकी मरम्मत करवाई होगी। मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है और कई सालों से वैज्ञानिक और जानकार इस मंदिर के रहस्य को लेकर हैरान हैं।
बूंदों का रहस्य अनसुलझा
जगन्नाथ मंदिर के गुंबद में लगे पत्थर से टपकने वाली पानी की बूंदों का रहस्य अनसुलझा है। भीषण गर्मी के बीच में मानसून आने से पहले यहां पत्थर भीगता है और बूंदें गिरनी शुरू हो जाती हैं। बारिश होते ही यह सूख जाती हैं। मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि वर्षों पहले से इन बूंदों का आकार बताता रहा है कि मानसून अच्छा रहेगा या कमजोर। मई के अंतिम सप्ताह में बूंदें गिरने लगती हैं। वर्तमान में गुंबद पर लगे पत्थर से बूंदें अच्छी मात्रा में गिर रही हैं। इस साल जो संकेत मिल रहे हैं, उससे मानसून जल्द आएगा और बारिश बहुत अच्छी होगी।
होगी झमाझम बारिश
मंदिर के पुजारी ने बताया कि पत्थर पर बूंदें जैसे ही सूखती हैं, तुरंत बारिश होती है। मौसम विज्ञानी भी मंदिर के पुजारी के संकेतों को सही बता रहे हैं। सीएसए कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी का कहना है कि बेहटा के जगन्नाथ मंदिर की मान्यता के बारे में पता चलने पर वहां गए थे। 41 डिग्री सेल्सियस तापमान के बावजूद पत्थरों से बड़ी-बड़ी बूंदे टपकते मिलीं। वहां की मान्यता है कि ऐसी स्थिति में सामान्य से अधिक वर्षा होती है। ग्रामीणों का कहना है कि इसवर्ष गुंबद पर पानी की बूंदे जल्द दिखने लगी है। ऐसे में उम्मीद है कि मेघ जमकर बरसे। ऐसे में फसल की पैदावर बढ़ने की उम्मीद है।
भविष्यवाणी के लिए मंदिर प्रसिद्ध
मंदिर से 50-60 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले किसान इस भविष्यवाणी पर भरोसा करते हैं। वे मंदिर में जाकर बूंदों को देखते हैं और फिर अपने खेतों की तैयारी करते हैं। लोग मंदिर में विशेष पूजा-पाठ शुरू कर देते हैं और अच्छी फसल की उम्मीद करते हैं। अब तक कई पुरातत्वविद और वैज्ञानिक इस मंदिर के रहस्य को सुलझाने आए हैं, लेकिन अभी तक ये नहीं पता चल पाया कि पानी की बूंदें छत पर क्यों और कैसे बनती हैं। ये मंदिर बारिश की भविष्यवाणी को लेकर स्थानीय लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है। हर साल यहां पर पुरी की तरह रथ यात्रा होती है और एक बड़ा त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान गांव में हजारों श्रद्धालु आते हैं।